मैं क्यों लिखता हूं? – दिनेश दधिची

  डॉ. दिनेश दधीचि (दिनेश दधीचि स्वयं उच्च कोटि के कवि व ग़ज़लकार हैं। और विश्व की चर्चित कविताओं के…

नदियों के बारे में नीग्रो का कहना है –  लैंग्स्टन ह्यूज़

 लैंग्स्टन ह्यूज़ (1902-1967) अनुवाद – दिनेश दधीचि नदियों को जाना है मैंने नदियाँ जो प्राचीन बहुत हैं; उतनी जितनी अपनी…

चरण आपके पुष्प – स्वामी रामदास

स्वामी रामदास (1884-1963) अनुवाद दिनेश दधिची मधुमक्षिका पुष्प पर जैसे मँडराती है उसी प्रकार हृदय मेरा, हे प्रभो! आपके चरणों…