धनपत सिंह

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इसाए जी हो गरीब्बां जो अन्न पाणी वो दासइसीए हो सै भूख जयसिंह इसी ए होया कर प्यास सांप के पिलाणे तैं भाई बणै दूध का जहरप्यार मोहब्बत असनाई चाहिये

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रागनीAugust 30, 2019

जमाना ही चोर है, पक्षी-पखेरू क्या ढोर है कोये-कोये चोर है जग म्हं लीलो आने और दो आने काजवाहरात का चोर है कोय, कोय है चोर खजाने काजिसी चोरी करै

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा,जाइये चंद्रमा और के चाहिये चंद्रमा आज सखीयां तैं चाली पट, दो बात सुणैं नैं म्हारी डटघूंघट तणना मुश्किल, बोहड़ीया बणना मुश्किल, जमणा मुश्किलहे

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रागनीAugust 13, 2019

मेरी बेट्टी यू के हाल सासरै घाल्ली थीबनड़ी बणकै मेरे ढूंड तैं जा ली थी जिसकी बेट्टी इसी दुखी वा क्यूकर जीवै मातकाठ के कोयले होया करैं पेड़ बिना फल

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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रागनीAugust 9, 2019

कलम घिसे और दवात सुकज्या हरफ लिखणियां थक लेरै मेरी इसी पढ़ाई नैं कौण लिखणियां लिख ले इतणै भूक्खा मरणा हो इतणै वा झाल मिलै नागुमसुम रहैगा बंदा इतणै ख्याल

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मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवारदुनियां के म्हं बड़ा बताया पगड़ी बदला यार किरसन और सुदामा यारी लाए सुणे होंएक ब्राह्मण और एक हीर कै जाए सुणे होंएक

देसहरियाणा सामाजिक-सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच

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