कुरुक्षेत्र, 10 मार्च देस हरियाणा द्वारा स्थानीय महात्मा ज्योतिबा फुले सावित्रीबाई फुले पुस्तकालय में देश की पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिव रमन गौड के काव्य-संग्रह नयी सुबह तक पर समीक्षा गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में शिव रमन गौड ने अपने काव्य-संग्रह की कविताओं का पाठ किया।

संगोष्ठी का शुभारंभ महात्मा ज्योतिबा फुले एवं सावित्रीबाई फुले की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के साथ हुआ। सैनी समाज सभा के प्रधान गुरनाम सिंह ने आए अतिथियों का स्वागत किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के प्रोफेसर एवं देस हरियाणा के संपादक डॉ सुभाष सैनी ने सावित्रीबाई फुले को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी कविता एवं अपने महात्मा ज्योतिबा फुले को लिखे दो पत्र पढ कर सुनाए। उन्होंने कहा कि देश की पहली शिक्षिका एवं समाज सुधारक होने के साथ-साथ सावित्री फुले एक कवयित्री और लेखिका भी थी और उनकी कविताओं में अपने समय के सवाल मुखर रूप से उजागर होते हैं। उन्होंने कहा कि सावित्री फुले से प्रेरणा लेते हुए आज के साहित्यकारों को अपने समय की विसंगतियों, बुराईयों, अंधविश्वासों का विरोध करते हुए समाज की बेहतरी का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।
शिव रमन ने कहा कि समाज में कच्चापन, थोथापन एवं खालीपन आ गया है। ऐसे समय में उनके काव्य संग्रह की कविताएं संवेदनहीनता, मानवमूल्यों के ह्रास, कृत्रिम जीवन की ओर संकेत करती हैं। उन्होंने कहा कि समाज के सबसे कमजोर लोगों के पक्ष में नयी सुबह तक प्रयास होने चाहिएं, यही उनकी कविताओं का मूलभाव है। उन्होंने कहा कि काव्य-संग्रह की कविताएं तीन भागों-नयी सुबह, नीलकंठ और तेरी खुश्बू में बंटी हुई हैं।
शिव रमन ने कहा कि समाज में कच्चापन, थोथापन एवं खालीपन आ गया है। ऐसे समय में उनके काव्य संग्रह की कविताएं संवेदनहीनता, मानवमूल्यों के ह्रास, कृत्रिम जीवन की ओर संकेत करती हैं। उन्होंने कहा कि समाज के सबसे कमजोर लोगों के पक्ष में नयी सुबह तक प्रयास होने चाहिएं, यही उनकी कविताओं का मूलभाव है। उन्होंने कहा कि काव्य-संग्रह की कविताएं तीन भागों-नयी सुबह, नीलकंठ और तेरी खुश्बू में बंटी हुई हैं।
साहित्यकार एवं समीक्षक माधव कौशिक ने काव्य-संग्रह पर समीक्षात्मक विचार रखते हुए कहा कि यह संग्रह संश्लिष्ट कथ्य की कसावट तथा सहज शिल्प की बुनावट की वजह से उनके पिछले दो काव्य-संग्रहों से अधिक प्रभावपूर्ण तथा विचारोत्तेजक है। इन कविताओं की पृष्ठभूमि में रचनाकार का जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण सतत प्रवाहमान रहा है। उपभोक्तावादी अपसंस्कृति की आंधी में लुप्त होते जीवन-मूल्यों का बिखराव कवि को निरंतर आंदोलित और उद्वेलित करता है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से सेवाानिवृत्त प्रोफेसर दिनेश दधीचि ने विश्व साहित्य के विभिन्न संदर्भों का जिक्र करते हुए शिव रमन के काव्य-संग्रह के कथ्य और शिल्प पर बेबाक चर्चा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान धर्मोन्माद, घृणा, नफरत के माहौल में साहित्यकारों के सामने सच और सद्भाव के पक्ष में खडे होना है और शिव रमन ने यह कार्य किया है। उन्होंने कहा कि काव्य-संग्रह की कविताएं मुक्त छंद होते हुए भी छंद के गुणों से युक्त हैं। विभिन्न कविताओं की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि पंक्तियों में उर्दू गजल का अनुशासन देखने को मिलता है।
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आरआर फुलिया ने शिव रमन को उनके काव्य-संग्रह को लेकर बधाई देते हुए कहा कि आज समाज में अध्ययन एवं विचार-विमर्श की संस्कृति को बढावा देने की जरूरत है। देस हरियाणा के द्वारा यह काम पूरी शिद्दत से किया जा रहा है।
हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक पूर्णमल गौड ने कहा कि एक रचनाकार का दायित्व है कि वह अपने समय की सच्चाईयों को उद्घाटित करे। सावित्रीबाई फुले ने यह काम किया और वे आज के साहित्यकारों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने अकादमी की तरफ से सावित्री फुले के साहित्य का संग्रह प्रकाशित करवाने का आश्वासन दिया। कपिल भारद्वाज, राजेश कासनिया, चंडीगढ डीएवी स्कूल की प्रिंसिपल विभा ने भी काव्य-संग्रह पर अपने विचार व्यक्त किए।
देस हरियाणा से जुडे सुनील थुआ ने आए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राम कुमार आत्रेय, अरुण कैहरबा, कुमार विनोद, विपुला, राज कुमार जांगडा, विकास साल्याण, हरपाल शर्मा, ओमप्रकाश करुणेश, विजय विद्यार्थी, मनोज कुमार, डॉ कृष्ण कुमार, ब्रह्मानंद, रजविन्द्र चंदी, राजीव सान्याल सहित अनेक साहित्यकार मौजूद रहे।