स्वराज की परिभाषाएं-गांधी का भारत

महात्मा गाधी

मेरे दिमाग में स्वराज की जो कई परिभाषाएं चक्कर काटती रही हैं, उन्हें मैं पाठकों के सामने रखने की इजाज़त चाहता हूं।

(1) स्वराज का मतलब है-अपने ऊपर राज। जो यह कर ले सका है उसने अपनी व्यक्तिगत प्रतिज्ञा पूरी कर ली है।

(2) किंतु हमने स्वराज को किसी प्रतीक या भावना के रूप में लिया है। इसलिए स्वराज का मतलब है देश के आयात और निर्यात पर, उसकी फौज और उसकी अदालतों पर जनता का पूरा अधिकार। दिसम्बर में जो प्रतिज्ञा ली गई थी उसका यही अर्थ है। इस तरह के स्वराज में अंग्रेजों के साथ संबंध रखने की गुंजाइश रह भी सकती है और नहीं भी रह सकती। पंजाब और ख़िलाफ़त के मसलों का अगर कोई हल नहीं निकलता, तो इस तरह के संबंध की गुंजाइश नहीं रह जाती।

(3) लेकिन, व्यक्तिगत रूप में तो शायद साधु-सन्यासियों को आज भी स्वराज मिला ही हुआ है और दूसरी ओर हमारी अपनी पार्लियामेंट हो जाने के बाद भी लोग महसूस कर सकते हैं कि वह आजाद नहीं हैं। इसलिए स्वराज का मतलब है अन्न और वस्त्र का सहज सुलभ होना, ताकि उनकी कमी की वजह से कोई भूखा या नंगा न रह पाए।

(4) यह सब हो जाने पर भी, हो सकता है कि एक संप्रदाय या समाज दूसरे को दबाना चाहे। इसलिए स्वराज का मतलब वह स्थिति है जिसमें कोई जवान लड़की आधी रात को भी बिना किसी ख़तरे के अकेली कहीं आ-जा सके।

(5) इन्हीं चार परिभाषाओं के अंदर दूसरी कई परिभाषाएं समाई हुई हैं। फिर भी, अगर स्वराज ने इस राष्ट्र की रचना करने वाले हर वर्ग और तबके अंदर नई जान डाली है-जैसी कि उसे डालनी चाहिए ही-तो इसका मतलब यह होगा कि अंत्यजों के साथ अछूत जैसा बरताव करने की प्रथा हमारे बीच बिल्कुल ही नहीं रह जाएगी।

(6) ब्राह्मण-अब्राह्मण के बीच के झगड़े का अंत।

(7) हिंदुओं और मुसलमानों के दिलों से गर्हित मनोभावों का पूरा ख़ातमा। इसका मतलब यह है कि हिंदुओं के दिल में मुसलमानों की भावनाओं के लिए आदर का भाव हो, और उनके लिए वह अपनी जान देने के लिए तैयार रहें। और ठीक यही बात मुसलमानों पर भी लागू हो। हिंदुओं का दिल दुखाने के लिए मुसलमानों को गोहत्या नहीं करनी चाहिए, उल्टे, खुद ही उनकी भावनाओं का ख़्याल कर उन्हें गोहत्या से बचना चाहिए। उसी तरह  हिंदुओं को भी, बदले में कोई आशा किए बिना, मुसलमानों का जी दुखाने की नीयत से मसजिदों के सामने बाजा बजाना छोड़ देना चाहिए, बल्कि  किसी मसजिद के सामने से गुजरते वक्त उन्हें यह गर्व महसूस करना चाहिए कि वे बाजा नहीं बजा रहे हैं।

(8) स्वराज का मतलब यह है कि हिंदू, मुसलमान, सिख, पारसी, ईसाई और यहूदी-सभी अपने-अपने धर्मों का पालन और दूसरों के धर्मों का आदर कर सकें।

(9) स्वराज का मतलब यह है कि हर शहर और गांव में इतनी शक्ति हो कि चोर-डाकुओं से वह अपना बचाव कर सकें और अपनी जरूरत भर का अन्न और कपड़ा पैदा कर सकें।

(10) स्वराज का मतलब यह है कि राजा-महाराजों और ज़मींदारों का अपनी प्रजाओं और किसानों वगैरह के साथ जो आपसी संबंध हो, उसमें दोनों ही एक-दूसरे का ख्याल रखें। पहले पक्ष के लोग दूसरे पक्ष के लोगों को परेशान न करें और फिर दूसरे पक्ष के लोग भी पहले की परेशानियां न बढ़ाएं।

(11) स्वराज का मतलब यह है कि अमीरों और श्रमजीवी वर्ग के लोगों के बीच सद्भाव रहे। इसका मतलब यह है कि र्प्याप्त मज़दूरी लेते हुए श्रमिक लोग खुशी-खुशी अमीरों के लिए काम करें।

(12) स्वराज का मतलब यह है कि हर स्त्री को मां या बहन समझा जाए और उसे ज्यादा से ज्यादा सम्मान दिया जाए। इसका मतलब यह है कि ऊंच-नीच का भेद मिट जाए और सभी लोगों का दूसरों के प्रति वैसा सद्भाव हो जैसा अपने भाई या बहन के लिए होता है।

इन परिभाषाओं से यह साफ हो जाता है कि (1) सरकार शराब, अफीम और ऐसी ही दूसरी चीजों का व्यापार नहीं करेगी, (2) अन्न और कपास के व्यापार में सट्टा नहीं चलने दिया जाएगा, (3) कोई भी आदमी कानून को भंग नहीं करेगा, (4) किसी के लिए भी मनमानी करने की गुंजाइश नहीं रहेगी, जिसका मतलब यह हुआ कि किसी पर अगर कोई इल्जाम लगाया जाए तो वह खुद ही उसका फैसला करने नहीं बैठने पाएगा, बल्कि विधिवत स्थापित की गई देश की किसी अदालत में उसकी जांच होने देगा।

साभार-गांधी का भारत : भिन्नता में एकता, अनु.-सुमंगल प्रकाश, पृ.-7

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