देस हरियाणा द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आर.के. सदन में तीसरे हरियाणा सृजन उत्सव का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। देस हरियाणा के संपादक एवं सृजन उत्सव के संयोजक डॉ सुभाश सैनी ने दो दिन चलने वाले उत्सव का परिचय रखते हुए देश भर के जाने-माने साहित्यकार अतिथियों और प्रदेश भर के सृजनकर्मियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र में बनारस हिन्दू विश्विद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर चैथीराम यादव ने देस हरियाणा के 21वे अंक का विमोचन किया। उन्होंने सृजन की परंपराएं संघर्ष एवं द्वंद्व विशय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि संघर्ष के बिना सृजन की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कबीर, बाबा फरीद, बुल्लेशाह, मीरा,रैदास सहित अनेक कवियों को जनपक्षीय सृजन के लिए अनेक प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पडा। न्याय के पक्ष में सच की आवाज उठाने वाले मीरा व पल्टू साहब जैसे कईं रचनाकारों को अपनी जान तक गंवानी पडी। आज भी सच कहने वाले गौरी लंकेश व रामचन्द्र छत्रपति जैसों को अपनी जान गंवानी पडी। इन लोगों ने सच के लिए अपनी कलम उठाकर समाज को रास्ता दिखाने का काम किया। इसी परंपरा में डॉ भीम राव आंबेडकर भी शामिल हैं। डॉ.आंबेडकर 20वीं सदी के सबसे बडे विद्वान हैं, जो जातिवाद और वर्णवाद के खिलाफ लडाई लड रहे थे। उनका संघर्ष मार्टिन लूथर किंग व नेल्सन मंडेला के संघर्षों से भी कईं मायनों में बडा है। उन्होंने कहा कि भारत में महात्मा बुद्ध,ज्योतिबा फुले, पेरियार,भगत सिंह व मध्यकाल के सूफी संतों ने प्रतिरोध की परंपरा को आगे बढाने का काम किया। उन्होंने कहा कि सिक्ख गुरूओं ने लंगर की परंपरा को प्रतिरोध का तरीका बनाया तथा जात-पात को अपनी तरह से खत्म करने की कोशिशे की। उन्होंने कहा कि साहित्य में समन्वय खतरनाक विचार है। रचनाकारों को तय करना होगा कि वे शास्त्रधर्मी व लोकधर्मी जीवन में से किसके पक्ष में खडे हैं। विचारों में कठमुल्लापन व जडता खतरनाक है। आज के रचनाकारों के लिए अपनी पक्षधरता तय करना सबसे बडी चुनौति है।
प्रोफेसर चैथी राम यादव के वक्तव्य के बाद देस हरियाणा के सलाहाकार प्रो टीआर कुंडू ने कहा कि आम आदमी वर्तमान की अनेक समस्याओं से घिरा हुआ है। रचनाकार आम आदमी को संघर्ष में अकेला नहीं होने देता और अपनी रचनाओं के जरिये उनकी समस्याओं को रखता है।
डॉ सुभाश सैनी ने कहा कि हरियाणा को कन्या भ्रूण हत्याओं, खाप पंचायतों के लिए जाना जाता है। हरियाणा की सृजनशीलता को प्रायः अनदेखा कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि लगातार तीन सालों से आयोजित किया जा रहा हरियाणा सृजन उत्सव प्रदेश की साहित्यिक परंपराओं और विचारशीलता को मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने देस हरियाणा के षुरू करने के संस्मरणों पर भी प्रकाश डाला। सत्र का संचालन देस हरियाणा के सलाहकार परमानंद शास्त्री ने किया।
उत्सव के दूसरे सत्र में युवा सृजनः संवेदना,संकल्प और संकट विषय पर परिसंवाद आयोजित किया गया। देस हरियाणा एवं रेतपथ से जुडे अमित मनोज ने सत्र का संयोजन किया और नाटककार कुलदीप कुणाल, दिल्ली से आई कथाकार प्रज्ञा रोहिणी,गाजियाबाद से उपन्यासकार एमएम चन्द्रा, संदीप मील,नीलोत्पल ने युवा सृजन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी आरआर फुलिया, अहा जिंदगी के पूर्व संपादक आलोक श्रीवास्तव, देस हरियाणा के सलाहकार सुरेन्द्रपाल सिंह उपस्थित रहे।