कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित आर.के. सदन में देस हरियाणा द्वारा आयोजित किया जा रहा दो दिवसीय हरियाणा सृजन सृजन के नए संकल्पों के साथ सम्पन्न हो गया। अहा जिंदगी के पूर्व संपादक एवं संवाद प्रकाशन के निर्देशक आलोक श्रीवास्तव ने वर्तमान दौर की चुनौतियां और सृजन विषय पर समापन भाषण देते हुए कहा कि आज साहित्यकारों एवं कलाकारों के सामने अपने समय को सही प्रकार से वैश्विक परिदृश्य में समझना सबसे बडी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि सत्ता द्वारा निर्मित छपास, पुरस्कार व आत्मसंतुष्टि के सींखचों से बाहर निकलना होगा। अपनी रचनाओं में भाषा और विषय-वस्तु के नए आयाम सृजित करने होंगे। उन्होंने कहा कि दूसरी भाषाओं के साहित्य को अनुवाद के जरिये हम अपनी भाषाओं को समृद्ध कर सकते हैं। आज भाषाई आदान-प्रदान और विश्व साहित्य के साथ जुड़ने की ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि साहित्य को लोगों के बीच में ले जाने के लिए नए तरीके अपनाने होंगे। जगह-जगह पुस्तकालय खोलने और किताबों के पठन-पाठन व चर्चाओं का माहौल बनाना होगा। समापन अवसर पर देस हरियाणा के संपादक डॉ.सुभाष सैनी ने कहा कि लगातार तीन सालों से हरियाणा सृजन उत्सव का आयोजन लोगों एवं साहित्यकारों के सहयोग से हो रहा है। यह उत्सव सभी रचनाकारों और कलाकारों को आपसी विचार-विमर्श के अवसर देता है और इससे सभी में नई उर्जा पैदा होती है। सृजन उत्सव सांस्कृतिक उर्जा का प्रतीक बन गया है। उन्होंने देशभर से आए साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।
हरियाणा सृजन उत्सव के दूसरे दिन हाली पानीपती और बालमुकुंद गुप्त के संदर्भ में हरियाणा की साहित्यिक परंपराएं विषय पर संगोष्ठि आयोजित की गई। सेमिनार में उर्दू के जाने-माने साहित्यिकार एम.पी. चांद ने हाली पानीपती के जीवन और साहित्य पर बात रखते हुए कहा कि हाली पानीपती उर्दू के पहले साहित्यालोचक और जीवनी लेखक हैं। वे प्रख्यात शायर मिर्जा गालिब के शिष्य हैं। देश प्रेम पर आधारित उनकी रचनाएं उर्दू साहित्य में नजीर पेश करती हैं। साहित्यकार सत्यवीर नाहडिया ने बालमुकुंद गुप्त के जीवन तथा साहित्य व पत्रकारिता में उनके योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि बाल मुकुंद गुप्त भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के जरिये समय की सत्ताओं और चुनौतियों को मुखरता के साथ उजागर किया।
अपने हीरो से संवाद विशय पर आयोजित किए गए सत्र में बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता यशपाल शर्मा ने अपने पसंदीदा नाटकों पर चर्चा की।उन्होंने गिरीश कार्नाड के प्रसिद्ध नाटक- तुगलक व आईंसटीन पर विशेष करते हुए अभिनय की बारीकियां बताते हुए अपने अनुभव सांझे किए।
हरियाणा के मनोरंजन व्यवसाय पर खुली बहस का आयोजन किया गया। बहस में वरिष्ठ पत्रकार कमलेश भारतीय ने कहा कि समाचार-पत्र व पत्रकार राजनीति व अपराध के पीछे भाग रहे हैं, जबकि बडे से बडे साहित्यिक कार्यक्रमों और कलाकारों की अनदेखी करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कलाकारों को भी हरियाणा की नब्ज पहचाननी होगी। हरविन्द्र मलिक ने कहा कि अपनी बोली-भाषा को बढ़ावा देने के लिए वे प्रयास कर रहे हैं। हरियाणा की कला और मनोरंजन काम से जुड रहे हैं।
इस मौके पर अविनाष सैनी, डॉ. कृष्ण कुमार, धर्मवीर, सुरेन्द्रपाल सिंह, इकबाल सिंह, मोनिका भारद्वाज, अरुण कैहरबा, विकास साल्याण, दीपक राविश, नरेश दहिया, बृजपाल, सुनील थुआ, जितेन्द्र सिंग्रोहा, प्रदीप स्वामी, रानी, राजेश कासनिया, बलजीत, गीता पाल, विपुला, कीर्ति उपस्थित रहे।