शंवाई-पंझेई – दो लड़कियों की बलि देकर बनाया गया था शिव मंदिर

– अर्शदीप सिंह
चंबा जिले की सुंदर वादियों में स्थित है एक छोटी सी तहसील चुराह। चुराह तहसील ऊंचे पहाड़ों पर बसने वाले दो गांव इस इलाके के प्रसिद्ध गांव है एक का नाम है पंझेई और दूसरे का नाम है शंवाई। पंझेई ग्राम पंचायत है जिसके अंतर्गत लगभग 12 गांव आते हैं। इसको हिमगिरी इलाका भी कहा जाता है।

प्राचीन शिव मंदिर, गांव शंवाई, तहसिल चुराह, जिला चंबा/फोटो अर्शदीप सिंह


इन गांव के नाम के पीछे बड़ा इतिहास दफन है, जो इस गांव के मंदिर में जाने से पता चलता है। गांव के बीचों बीच एक मंदिर बना हुआ है। यह शिवजी का बेहद प्राचीन मंदिर है। गांव के बुजुर्ग नंदू चाचा ने बताया कि इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था। पांडव जब अज्ञातवाश काट रहे थे तो इस गांव में रुके थे। उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया। जब उनसे यह पूछा गया कि गांव का नाम और इस मंदिर में क्या तालुक है तो उन्होंने बताया कि जब पांडव इस मंदिर को बनवा रहे थे तो इस की छत गिर जाती थी। जैसे-जैसे छत तक निर्माण कार्य पहुंचता तो छत गिर जाती थी। स्थानी य पुजारियों ने उनको सलाह दी कि यहां दो कुंवारी लड़कियों की बलि दिए बिना यह मंदिर नहीं बने गा। इसके लड़कियों की तलाश शुरू हुई। किसी गांव वाले ने अपनी लड़कियों को बलि के लिए नहीं दिया। एक तिब्बती भट्ट कबीला पास से गुजर रहा था। उन से 16 रुपए में दो लड़कियां खरीदी गई। उनमें से एक का नाम पंझेई था जो बड़ी थी और छोटी का नाम शुंवाई था।

लड़कियों की समाधियां दिखाते ग्रामीण/फोटो अर्शदीप सिंह


दोनों को पुजारियों के आदेश पर जिंदा समाधि दिलवाई गयी। लड़कियों को अलग-अलग गड्ढे में बंद कर दिया गया, उनके लिए खाने पीने का सामान रखा गया, नए कपड़े पहनाए गए, उनको सजाया गया। लड़कियां 7 दिन तक रोती रहीं, चीखें मारती रही। 7 दिनों तक उनके पास ढोल-नगाड़े बजते रहे। जब तक चीखें बंद नहीं हुई ढोल-नगाड़े, तुरही बंद नहीं हुई। फिर जाकर इस मंदिर का निर्माण हुआ था।
मंदिर के दरवाजे के सामने उनकी समाधि बनी हुई है। जहां उनको दफन किया गया वहां पर पत्थर रख कर इन समाधों के बनाया गया है।
मंदिर का प्रागंण और उसमें लगी हुई मूर्तियां इसके बेहद प्राचीन होने की गवाही तो देती हैं लेकिन यह वास्तव में महाभारत कालीन है, यह खोज का विषय है। गांव के नौजवान किसान खेती राम कहते हैं कि चंबा में बनाए गए प्रसिद्ध लक्ष्मीनारायण मंदिर के लिए मूर्तियां भी इसी गांव से ले गए थे।
मंदिर लगभग 7 गुणा 7 फिट के कमरे नूमा भवन में बना है। ऊपर पहाड़ी शैली की स्लेटों की छत है। स्लेटों की छतों का रिवाज ऊतना पुरातन नहीं है जितना मंदिर बताया जाता है। हो सकता है यह छत बाद में बनाई गयी हो। मंदिर में लगभग 3 फिट का शिवलिंग है। शिवलिंग के बारे में गांव के तुलाराम बताते हैं कि इस में एक बार दरार आ गयी थी जो बाद में अपने आप भर गई। मंदिर के अंदर ही एक 4-5 इंच का सुराख है। नंदु चाचा बताते हैं कि पहले जब इस में पत्थर डाला जाता था तो ऐसा लगता था कि कोई 500-700 गज दूर घंटी बज रही हो। लेकिन जब से यहां बिजली के लिए बाँध बना और सुरंग निकाली गई तो यह घंटी बजनी बंद हो गयी है।

मंदिर के चारों और छोटे-छोटे पत्थर रख कर दीवार चीनी गयी है। दीवार में 3-3 फूट की दूरी पर बेहद प्राचीन मूर्तियां लगी हुई हैं। मूर्तियां काले पत्थर को तरास कर बनाई गयी हैं। उनकी चमक ऐसी है कि जैसे उन पर काला रंग किया गया हो लेकिन ऐसा नहीं है। मंदिर का मुख्य दरवाजा लगभग 4 फिट का है जो कि 3 बड़े-बड़े भारी पत्थरों की चौखट का बनाया गया है। चौखटों के पत्थरों पर तरास कर शिव शंकर की बारात का दृश्य बनाया गया है। दीवार के इधर-उधर दो अर्ध-नगन महिलाओं की मूर्तियां है। एक महिला का सिर धड़ से अलग किया हुआ है। मंदिर की दक्षिणी दीवार पर काले पत्थर पर उकेरी गई त्रिलोक नाथ की मूर्ति है  जो कि हिमाचल साहित्य अकादमी का लोगो भी है, वहीं पिछली दीवार पर काल भैरो की मूर्ति है और उतरी दीवार पर भगवान विष्णु की मूर्ति है।
मंदिर के एक कोने में एक भारी-भरकम पत्थर को तरास कर शेर बना हुआ है, शेर के सामने छोटा सा मंदिर है जो कि शेरावाली माता का है।

मंदिर बेहद प्राचीन होते हुए भी यहाँ पर कोई बड़ा-मेला और त्योहार नहीं मनाया जाता। गांव में आने-जाने के सीमित संसाधन हैं। गांव में जब से पुरातत्वविदों की टीम ने दौरा किया है गांव वालों को आस बंधी है कि गांव का विकास होगा और पर्यटक आएंगे। अब सवाल यह बनता है कि दो मासूम लड़कियों की बलि देकर बनाए गए शिव मंदिर को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाए जाने से समाज को क्या सीख मिलेगी। आखिर क्या हिमाचल केवल पर्यटकों को दिखाने की जगह मात्र बन कर रह जाएगा, क्या यही विकास का पैमाना है या फिर लोगों का पर्यटन के भरोसे छोड़ने की बजाए उनके मौलिक विकास की जरूरत है।
पहुंचने का रास्ता
गूगल पर सर्च करें – Shiunwai, Himachal Pradesh 176321
https://www.google.com/maps/dir/Chamba,+Himachal+Pradesh/Shiunwai,+Himachal+Pradesh+176321/@32.6864911,76.1037467,11z/data=!4m14!4m13!1m5!1m1!1s0x391cbdcc1d2b79c9:0x4d6719d7059007af!2m2!1d76.1258083!2d32.5533633!1m5!1m1!1s0x391cc253b2e14f81:0x4193b3fd6ff586ee!2m2!1d76.1290961!2d32.7877899!3e0
शंवाई गांव के लिए चंबा जिला मुख्यालय बस स्टेंड से दो बसे ही जाती हैं एक 9 बजे तो दूसरी शाम को 3 बजे। चबां से यह 70 किलोमीटर है।
लगभग हर साल जनवरी में यहां पर बर्फबारी होती है।

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