हरियाणा सृजन उत्सव 2019, कार्यक्रम

तीसरे हरियाणा सृजन उत्सव  का आगाज हो चुका है। हर वर्ष यह कार्यक्रम फरवरी के महीने में कुरूक्षेत्र में आयोजित किया जाता है। यह एक साहित्यिक-सांस्कृतिक और समाजिक गतिविधियों का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का आयोजन देस हरियाणा पत्रिका  की तरफ से किया जाता है। सृजन उत्सव हरियाणा में होने वाला साहित्यिक महाकुम्भ माना जाता है। इसकी शुरूआत वर्ष 2016 में हुई थी तब इस कार्यक्रम में जाने माने नाटककार असगर वजाहत ने शिरकत की थी। इनके अलावा फ़िल्म अभिनेता यशपाल शर्मा, कहानीकार ज्ञानप्रकाश विवेक, बजरंग बिहारी तिवारी, विकास नारायण राय, अभय मोर्य, अनिल चमड़िया, आदि जाने माने सामाजिक कार्यकर्ताओं और साहित्यकारों ने भाग लिया था। पिछले वर्ष दूसरे हरियाणा सृजन उत्सव का सफल आयोजन किया गया। इसका उदघाटन पंजाबी के सुप्रसिद्ध कवि और पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष सुरजीत पात्तर ने किया और समापन राज्य सभा टी.वी के पुर्व चीफ एडिटर उर्मिलेश उर्मिल ने किया था।

 

हरियाणा सृजन उत्सव – 2019

इस वर्ष सृजन उत्सव का आयोजन 9-10 फरवरी को कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के आर.के.सदन में किया जाएगा । अबकी बार इस कार्यक्रम का उदघाटन बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के रिटायर प्रोफेसर चोथी राम यादव जी करेंगे और सृजन की परंपराएः संघर्ष और द्वंद्व विषय पर अपना वक्तव्य पेश करेंगे। कार्यक्रम में दूसरे सत्र का संयोजन युवा लेखक अमित मनोज करेंगे। इसका विषय होगा युवा सृजनः संवेदना, संकल्प और संकट । इसमें देशभर से विभिन्न युवा लेखक भाग लेंगे। तीसरा सत्र लेखक से मिलिए में  एस.आर. हरनोट अपनी रचनायात्रा को प्रस्तुत करेंगे।

हरियाणा सृजन उत्सव 2017

 

बहुभाषीय कवि सम्मेलन

कार्यक्रम में इस विभिन्न प्रांतीय भाषाओं का कवि सम्मेलन भी करवाया जाएगा। इसमें हरियाणवी, पंजाबी,हिन्दी, राजस्थानी, और पहाडी भाषा के विभिन्न कवि भाग लेंगे इनमें रामस्वरूप किसान (राजस्थानी), नीतू अरोड़ा (पंजाबी),  रिसाल जांगड़ा (हरियाणवी), प्रोफेसर राजेंद्र गौतम, हरेराम समीप, आत्मारंजन आदि कवि शामिल होंगे।

सांस्कृतिक गतिविधि –

उत्सव के पहले दिन की संध्या में एक नाटक खेला जाएगा जिसका नाम है ‘हम देर नहीं करते देर हो जाती है’ नाटक के निर्देशक है कृष्ण कुमार। यह नाटक प्रख्यात साहित्यकार कृष्ण कुमार ‘भिखु’ की रचना ‘जामुन के पेड़’ पर आधारित है। नाटक के पश्चात प्रख्यात रंगकर्मी मंजुल भारद्वाज के साथ रंगकर्म पर चर्चा की जाएगी।

दूसरे दिन सृजन उत्सव में पहले सत्र में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा जिसका विषयः हरियाणा की साहित्यिक परंपरा – अल्ताफ हुसैन हाली पानीपती और बालमुकुंद गुप्त को केन्द्र में रखते हुए परिचर्चा की जाएगी। इस संगोष्टी में भागीदारी लेंगे सत्यवीर नाहड़िया, एम. पी. चांद, डा. कृष्ण कुमार, रोहतास । इसमे इसके साथ शोधार्थी अपने शोध-पत्र प्रस्तुत करेंगे। इसका संगोष्ठी का संयोजन और संचालन डा. कृष्ण कुमार करेंगे ।

कार्यक्रम में रंगमंच और सिनेमा पर्दे के प्रसिद्ध अभिनेता यशपाल शर्मा अपने पसंदीदा तीन नाटको की के बारे में चर्चा करेंगे।

हरियाणवी मनोरंजन के क्षेत्र में सक्रिय सृजकों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम में एक खुली बहस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें विभिन्न विषयों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित भागीदार जिनमे होंगे इनमें विक्रम दिल्लोवाल, दीपक राविश, इकबाल सिंह, मोनिका भारद्वाज, रोशन वर्मा आदि शामिल होंगे। इस सत्र की अध्यक्षता हरविंद्र मलिक (डायरेक्टर एंडी हरियाणा), कमलेश भारतीय, (वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार)  सुमेल सिंह सिद्धू, (इतिहासकार व निदेशक इदारा 23 मार्च)  करेंगे । इस सत्र का संचालन धर्मवीर करेंगे ।

समापन भाषण –

हरियाणा सृजन उत्सव 2019 का समापन भाषण  अहा जिन्दगी’  पत्रिका के पुर्व संपादक और संवाद प्रकाशन के निर्देशक आलोक श्रीवास्तव करेंगे। इनके वक्तव्य का विषय होगा – वर्तमान दौर की चुनौतिया और सृजन। इस सत्र का संचालन करेंगे अविनाश सैनी ।

 सृजन उत्सव को लेकर टिप्पणिया –

विभास वर्मा–  मैं दिल्ली में बहुत सारे कार्यक्रमों में गया हूं लेकिन यहां पर आने का मेरा अनुभव कुछ अलग हैं। यहां आकर आस्था बढ़ती है, हिम्मत मिलती है।

पल्लव– मैंने पिछले 10-12सालों में ऐसा बढ़िया आयोजन जनता के सहयोग से जनता के द्वारा नहीं देखा। यह कहते हुए मैं बहुत खुश हो रहा हूं। ‘हरियाणा सृजन उत्सव’ और ‘देस हरियाणा’ की पूरी टीम के संकल्प को नमन करता हूं। यह आप जबरदस्त काम कर रहे हैं।

 

सुरजीत पातर

हरियाणा सृजन उत्सव जैसा ऊर्जाभरा कार्यक्रम मैने अपने क्षेत्र में नहीं देखा। मैं यहां से बहुत कुछ लेकर जा रहा हूं। हम भी पंजाब में ऐसा कार्यक्रम करने की कोशिश करेंगे।

ज्ञान प्रकाश विवेक – ऐसा कहा जा सकता है कि यह समाज उत्पाद करता है। केवल प्रोडक्टिव है यह समाज । प्रोडक्टिव समाद में सृजन असंभव है – इस ‘मिथ’को आज के सृजन उत्सव ने गलत साबित किया है। हरियाणा में मैने अपने लेखन चालीस वर्षों में पहली बार देखा.. और महसुस किया है। यहाँ साहित्य का अदब था।

अनिल चमडिया – हरियाणा में इस तरह के कार्यक्रम को करना मेरे लिए सुखद आश्चर्य की बात है। बेहद प्रसन्नता की बात है और मैं समझता हूं कि आप हरियाणा में एक नई शुरूआत करने जा रहे हैं।

यहां सांस्कृतिक गतिविधियों की कमी थी। वो सांस्कृतिक गतिविधियां जो आपकी सांस्कृतिक ऊर्जा को एक बड़े सृजन में बदल जाए, यह कार्यक्रम वह करने जा रहा है।

असगर वजाहत – सरकारी सहायता के बिना पूरी स्वतंत्रता के साथ संस्कृति का निर्माण हो और एक सांस्कृतिक आंदोलन बने जो अपने ही पैरों पर खड़ा हो। हरियाणा के पचासवें साल में पहला सृजन उत्सव बिना किसी सरकारी सहायता और बिना किसी आडम्बर के संपन्न हुआ है

प्रदीप मानव – हरियाणा जैसे सांस्कृतिक उठापटक से जूझ रहे समाज के लिए यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा। बहुत से लोग इस कार्यक्रम को एक मंच के तौर पर देख रहे हैं जहां उन्हें अपनी अभिव्यक्ति के सम्मान की जगह नजर आती है। मेरी जानकारी में अपनी तरह का इतना विविधता भरा पहला आयोजन रहा है।

टी. आर. कुंडू – आज एक ऐतिहासिक दिवस है हम एक नए अध्याय की शुरूआत करने जा रहे हैं हरियाणा सृजन उत्सव के साथ। हरियाणवी भाषा में कहते हैं कि ‘कहलवा तो गांम रहा है और कह मैं रहा हूं।’ यानी इस काम की कमी तो सबको महसूस हो रही थी, लेकिन इन्होंने इसको कर दिखाया है, उसके लिए बधाई के पात्र हैं।

 

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