कर्मजीत कौर किशांवल
पंजाबी से अनुवाद परमानंद शास्त्री
(कर्मजीत कौर किंशावल पंजाबी की कवयित्री हैं, गगन दमामे दी ताल कविता संग्रह प्रकाशित हुआ है। इनकी कविताएं दलित जीवन के यथार्थपरक चित्र उकेरती हुई सामाजिक न्याय के संघर्ष का पक्ष निर्माण कर रही हैं। पंजाबी से अनुवाद किया है परमानंद शास्त्री जी ने। उन्होंने पंजाबी से हिंदी में गुरदियाल सिंह के उपन्यास और गुरशरण सिंह के नाटकों का अनुवाद किया है। साहित्यिक-सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी सक्रियता से निरंतर सांस्कृतिक ऊर्जा निर्माण कर रहे हैं – सं.)
आज के कन्हैया के हाथ
मक्खन की मटकियों के लिए नहीं
हकों के लिए उठेंगे
आज वह नहीं फोड़ेगा
गोपियों की मटकियां
अब तो वह
चौराहे में फोड़ेगा
नकारा मान्यताओं की हांडी
बांसुरी की तान पर
नहीं रिझाना उसने
गोपियों का मन
अब तो उसने
खरे शब्दों के तर्क से
जगाना है आवाम को
अब वह ’ रासलीला ’ नहीं
’ बोधलीला ’ रचाएगा !
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