सही राम
माई री, तुम धीरज रखना।
गर्भ में मुझको धारे रखना।।
खुसपुस-खुसपुस बातें होंगी, गुमसुम-गुमसुम बापू होंगे।
टेढ़ी सबकी नज़रें होंगी, मुंह भी फूले-फूले होंगे।
लंबी-लंबी खामोशी पर, ताने और उलाहने होंगे।
देख परायापन अपनों में, मत घबराना।।
माई री, तुम धीरज रखना।
गर्भ में मुझको धारे रखना।।
कैसे-कैसे पाठों में, फिर कैसी-कैसी सीखें होंगी।
सिर पर धरकर हाथ तेरे, फिर मीठी-मीठी बातें होंगी।
दुनियादरी की छुट्टी में, जाने क्या-क्या घातें होंगी।
चालें गहरी चक्कर भारी, बच के रहना।
माई री, तुम धीरज रखना।
गर्भ में मुझको धारे रखना।।
नफ़ा और नुक्सान का यूं तो जोड़-घटा सब पूरा होगा।
इज्जत और आबरू का भी रोना-धोना खूब मचेगा।
ऊंच-नीच समझाने का भी, काफी लंबा दौर चलेगा
इन बातों से मत भरमाना, डर के मारे मत थर्राना।
माई री, तुम धीरज रखना।
गर्भ में मुझको धारे रखना।।
मैं तो तेरे प्यार का तोहफा, इसमें कैसी सौदेबाजी।
सास-ननद भी औरत ही हैं, फिर क्यों करतीं कोरी लफ्फाजी।
याद दिलाओ बापू को भी, अब तक तो थे वो भी राजी।
उनका साथ मिले तो काफी, नहीं मिले तो भी मत डरना।
माई री, तुम धीरज रखना।
गर्भ में मुझको धारे रखना।।
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