जगदीप रागनी
इन गावणियां की बदमासी का आज पाटग्या तोल भाई
हरियाणे की संस्कृति का कर दिया भट्ठा गोळ भाई
सांग के म्हां सांग का भाई मनै भी एक सांग देख्या
भजनी बणकै गाण लागर्या पियें सुल्फा भांग देख्या
गाणा बजाणा सही आवै ना पाड़े न्यारी छांग देख्या
आपणी धुनां नै छोड़ कै फिल्मी की पकड़े टांग देख्या
आपणी धुनां की या नास की राही मैं कहूं बजाकै ढोल भाई
हरियाणे की संस्कृति…………
आज पैसा ही पैसा सब कुछ होग्या सारे इसनै चाह्वैं सैं
पिसै की खातिर स्टेज कै उपर भूंडे गीत सुणावैं सैं
ल्याहज शर्म का बीज रह्या ना ना बड्डा छोट्टा लखावैं सैं
इसे श्रोता म्हारे होगे जो भूंडा सुणना चाह्वैं सैं
ज्यब यें ढूंगें मटकावैं सैं थम जिनका करो मखौल भाई
हरियाणे की संस्कृति………
राजे राणी पराणी कहाणी न्यूए बात बके जां सै
जिसनै सुणकै पब्लिक सारी रुक्के मार छ्यके जा सै
म्हारी बात को कहता कोन्या पराणे खयालात धक्के जां सैं
इसकी आड़ मैं म्हारे आज के मौजूदा हालात लुक्के जां सै
न्यू ए दिन रात बके जां सैं ये मारैं खामखां बोल भाई
हरियाणे की संस्कृति……..
स्याणे माणस कहगे भाई लकीर पीटणा ठीक नहीं
आपणा भूलै और का सीखै इसा सीखणा ठीक नहीं
किसे की समझ मैं आवै ना इसा भी लिखणा ठीक नहीं
गाणा बजाणा आवै ना तै ऊंवें चीखणा ठीक नहीं
जगदीप सिंह कह मेरी बात की ना करियो टाळमटोळ भाई
हरियाणा की संस्कृति…….