आओ करें स्वागत सर्दी का

शमशेर कैंदल  हमसफीर  

छोटे दिन और लंबी रातें,
मोटे मोटे अब वस्त्रा भाते,
काम चले नहीं वर्दी का,
आओ करें स्वागत सर्दी का।

छोड़ा जाए ना अब बिस्तर,
कब तक पहुंचेंगे हम दफ्तर,
भय ठंडी हवा विचरती का,
आओ करें स्वागत सर्दी का।

आंगन में चाय की चुस्की,
पढ़कर खबरें इसकी उसकी,
लो आनंद धूप बिखरती का,
आओं करें स्वागत सर्दी का।

सुहानी रुत मस्ती भरी चालें,
कहर बरपाती रंगीली शालें,
और यूं दरगुजर बेदर्दी का,
आओ करें स्वागत सर्दी का।

धुंध कोहरा और ये ठिठुरन,
बढ़ती जाए दिल की धड़कन,
वक्त नहीं आवारागर्दी का,
चलो करें स्वागत सर्दी का।

More From Author

फासला – ज्ञान प्रकाश विवेक

अदालत जारी है …- कर्मजीत कौर किशांवल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *