विनोद सिल्ला
कितना भाग्यशाली था
आदिमानव
तब न कोई अगड़ा था
न कोई पिछड़ा था
हिन्दू-मुसलमान का
न कोई झगड़ा था
छूत-अछूत का
न कोई मसला था
अभावग्रस्त जीवन चाहे
लाख मजबूर था
पर धरने-प्रदर्शनों से
कोसों दूर था
कन्या भ्रूण-हत्या का
पाप नहीं था
किसी ईश्वर-अल्लाह का
जाप नहीं था
न भेदभावकारी
वर्ण-व्यवस्था थी
मानव जीवन की वो
मूल अवस्था थी
मूल मानव को
जंगली कहने वालो
जंगली कौन है
पता लगा लो