एक सवाल

adminदेस हरियाणाDecember 15, 20184 Views

एक सवाल
बार कौंधता है
मन मेरे
कि यह दुनियां ऐसी क्यों है?
गांव की चौपाल से लेकर
संसद के गलियारों तक
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर
और धर्म सभाओं तक
बड़ी सावधानी से
बांटा जाता है एक ही जहर।
बहाए जाते हैं घड़ियाली आंसू
देश की चिंतनधार कुंठित हो रही है
भाषणों की वृष्टि से
चलाया जा रहा है एक अभियान
नई-नई शतरंजी चालों में
आम-आदमी को उलझा दिया जाता है
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते’ का
महामंत्र उसके गले के नीचे
बड़ी सावधानी से उतार दिया जाता है
अपनी बाजी हारकर
आदमी छटपटाता है
और बार-बार पूछता रहूंगा
वही एक पुराना सवाल
कि यह दुनियां ऐसी क्यों है?
सम्पर्क-098282-19919

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