जड़ों में मट्ठा- विनोद सिल्ला

विनोद सिल्ला
कविता
मंच से
उनका भाषण था
समाज को ऊर्जा देने वाला
समाज सेवा में
उनका नाम था अव्वल
हर तरफ
उनके नाम की
बोलती थी तूती
हर तरफ थी
जय-जयकार
परन्तु पर्दे में
उनकी करतूतें
डाल रही थी मट्ठा
समाज की जड़ों में
कर रही थी कमजोर
समाज को
वो अच्छे वक्ता
हो सकते हैं
परन्तु
अच्छे समाज सेवक नहीं

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