लोग्गां की हुसयारी देक्खी,
न्यारी दुनियादारी देक्खी।
चोर-चोर की बात छोड़ इब,
चोर-पुलिस म्हं यारी देक्खी।
दरद मीठल़ा देग्यी बैरण,
सूरत इतनी प्यारी देक्खी।
घूम्मै नित अफसरी का कुणबा,
जीप इसी सरकारी देक्खी।
सुसरे नै हे घूंघट काढ्या,
नयी बहू जब न्यारी देखी।
अनदात्ता का हाल बुरा सै,
खाल्ली मनै बुखारी देक्खी।
बैरी किस पै कब आ ज्यावै,
दिल की खास बिमारी देक्खी।
वो गोदान हुया ना इब लग,
होरी की लाचारी देक्खी।
हार-जीत नेत्तां नै देक्खी,
जंता हरदम हारी देक्खी।
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