लेखकीय सरोकार की अनूठी यात्राएं

(बाबा भलखू हिमाचल के विश्वविख्यात पर्यटन स्थल चायल स्थित झाझा गांव के अनपढ़ मजदूर थे जिन्होंने अंग्रेजी राज में शिमला कालका रेल का सर्वे किया था और इस रेल मार्ग की सबसे बड़ी बड़ोग सुरंग का निर्माण करवाया था। उनकी सूझबूझ से ही अंग्रेज हिन्दुस्तान तिब्बत रोड़ के निर्माण के वक्त सतलुज नदी पर कई पुल लगा पाए थे। ब्रिटिश प्रशासन ने इस अनपढ़ मजदूर को ओवरशीयर की उपाधि दी थी और अनपढ़ इंजीनीयर से नवाजा था। उनकी स्मृति में रेलवे विभाग ने शिमला बस स्टेशन पर एक खूबसूरत संग्रहालय भी बनाया है।

हिमालय साहित्य संस्कृति व पर्यावरण मंच तथा नवल प्रयास के संयुक्त संयोजन में अनपढ़ इंजिनीयर बाबा भलखू स्मृति के बहाने सफल साहित्यिक रेल और ग्रामीण आयोजन उन्हीं की स्मृति को समर्पित थीं। – सं.)

स आर हरनोट हिमाचल में ही नहीं, देश और विदेशों तक साहित्य में चर्चित नाम है लेकिन अपनी संस्था हिमालय साहित्य संस्कृति मंच के बैनरों में बिना सरकारी सहायता के अपने साधनों और लेखकों के सहयोग से विविध साहित्यिक आयोजनों के लिए भी जाने जाते हैं। वे आए दिनों कोई न कोई नया काम हिमाचल के ही नहीं बल्कि देशभर से शिमला आने वाले लेखकों के साथ मिलकर करते रहते हैं। उन्होंने हमेशा अति वरिष्ठ और युवा तथा नवोदित साहित्यकारों को मंच ही नहीं प्रदान किया बल्कि उन्हें सम्मानित भी करते रहे हैं। शिमला बुक केफे जब मार्च, 2017 में शिमला नगर निगम ने शिमला रिज पर स्थित टका बैंच पर खोला तो हरनोट ने अपने दो लेखक साथियों कुल राजीव पंत और आत्मा रंजन के साथ वहां साहित्यिक बैठकों के आयोजन की रूप रेखा बनाई और तीनों लेखकों के मिले जुले प्रयास ने इस तरह गति पकड़ी कि अब इन गोष्ठियों की चर्चा हिमाचल में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है। बुक केफे का संचालन कंडा और कैथू जेल के इनमेटस करते हैं जो अपने आप में एक मिसाल है। जेलों को सुधार गृहों में बदलने की परिकल्पना हिमाचल प्रदेश के पुलिस महा निदेशक (जेल) श्री सोमेश गोयल जी की है जो स्वयं साहित्य प्रेमी हैं और लेखकों के साथ कई आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग भी लेते हैं।

इस बार हरनोट ने शिमला की प्रतिष्ठित संस्था नवल प्रयास, जिसका संचालन डा. विनोद प्रकाश गुप्ता जी करते हैं के साथ मिल कर दो बड़े आयोजन किए जो बरसों-बरस याद किए जाएंगे। गुप्ता जी आईएएस अधिकारी रहे हैं जो हिमाचल प्रदेश सरकार से प्रधान सचिव के पद से सेवानिवृत हैं और अब साहित्य सृजन और नवल प्रयास के बैनर में प्रदेश में ही नहीं देश भर में साहित्यिक आयोजन कर रहे हैं। हिमालय मंच ने नवल प्रयास के साथ पहले कार्यक्रम की शुरूआत जेल के पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल के साथ कंडा जेल में नेलसन मंडेला दिवस पर साहित्यिक गोष्ठी के आयोजन से की जो अति सफल रही। इस में लगभग पांच सौ कैदियों ने भाग लिया और शिमला से 15 लेखक शामिल हुए। कैदियों ने भी कविता पाठ किए।

हरनोट के एक अनूठे कन्सैप्ट के तहत शिमला-कालका विश्व धरोहर रेलवे में इस रेल के सर्वेक्षक अनपढ़ इंजीनियर बाबा भलखू की स्मृति में 19 अगस्त को 30 लेखकों के साथ आयोजित साहित्य यात्रा अभूतपूर्व थी। यात्रा 19 अगस्त, 2018 को शिमला रेलवे स्टेशन से 10.25 पर प्रारम्भ हुई।  इसलिए यात्रा के सत्रों में संस्मरण, लघु कथाएं, व्यंग्य, कहानी और कविता के सत्र यथावत आयोजित हुए। 30 लेखक जब बड़ोग स्टेशन पर पहुंचे तो यह देखकर अचम्भित थे कि वहां असंख्य लोग हाथ में फूल मालाएं लेकर लेखकों का स्वागत कर रहे थे। यह दृश्य सचमुच भावविभार कर देने वाला था। उनके स्वागत में स्वयं कैथलीघाट और बड़ोग के रेलवे अधिकारी तो थे ही बल्कि सोलन से लेखक, पत्रकार, रंगकर्मी और बहुत से प्रतिष्ठित लोग शामिल थे। कैथलीघाट रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर संजय गेरा तो पूरी यात्रा में साथ रहे। जेल ट्रैक की सम्पूर्ण जानकारी सुमित राज देते रहे। लेखकों ने बड़ोग में रेलवे कंटीन में दोपहर का भोजन लेकर फिर शिमला के लिए कालका-शिमला रेल में यात्रा शुरू की और पुनः कहानियों, कविताओं, संस्मरणों और ग़ज़लों का दौर चला। आखिरी सत्र महिला लेखिकाओं के लिए विशेषतौर पर उनके रचनापाठ के लिए समर्पित किया गया।

इस यात्रा में जो लेखक शामिल रहे वे हैंः एस आर हरनोट, विनोद प्रकाश गुप्ता, डॉ. हेमराज कौशिक, डा. मीनाक्षी एफ पाल, आत्मा रंजन, सुदर्शन वशिष्ठ, डा. विद्या निधि, कुल राजीव पंत, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, सतीश रत्न, सीता राम शर्मा, दिनेश शर्मा, डॉ. अनुराग विजयवर्गीय, शांति स्वरूप शर्मा, कौशल मुंगटा, अंजलि दीवान, उमा ठाकुर, प्रियंवदा, वंदना भागड़ा, रितांजलि हस्तीर, अश्विनली कुमार, कल्पना गांगटा, वंदना राणा, सुमित राज, निर्मला चंदेल, पौमिला ठाकुर, संजय गेरा।

इस यात्रा का दूसरा चरण लेखकों ने 2 सितम्बर, 2018 को बाबा भलखू के पैतृक गांव झाझा में पूर्ण किया जिसमें 21 लेखक और बहुत से ग्रामीण शामिल हुए। यात्रा का पहला पड़ाव ऐतिहासिक जुनगा गांव था जो क्योंथल रियासत की राजधानी भी रही है। यहां ग्राम पंचायत जुनगा की प्रधान श्रीमती अंजना सेन ने लेखकों के स्वागत और साहित्य सृजन संवाद का पंचायत घर में आयोजन किया जिसमें तकरीबन 90 महिलाएं और पुरूष शामिल हुए। यह पंचायत और महिला मंडल ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। उनके सहयोगी रहे बीडीसी की सदस्या सीमा सेन, उप प्रधान मदन लाल शर्मा, हिमाचल पर्यटन निगम के पूर्व सहायक महा प्रबन्धक देवेन्द्र सेन, महिला मंडल की प्रधान आशा कौंडल और अन्य पंचायत के सदस्य। लेखकों ने पंचायत प्रधान और उपस्थित आमजनों से किसान जीवन को लेकर भी संवाद किया। उन्होंने बहुत सी योजनाओं का ब्यौरा लेखकों से सांझा किया। लेखकों ने भी कृषि, पशु पालन और अन्य जन साधारण की सुविधाओं के संदर्भ में लोगों से विस्तृत चर्चा की।

कवि गोष्ठी और लोक संगीत का मिलाजुला कार्यक्रम तकरीबन दो घण्टों तक चला। जुनगा पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के पुलिसकर्मी और स्थानीय निवासी संतोष डोगरा और आशा कौंडल ने लोकगीतों से समा बांध दिया। पंचायत प्रधान अंजना सेन ने लेखकों का स्वागत और आभार प्रकट करते हुए इस अनूठी गोष्ठी और यात्रा की सराहना की। देवेन्द्र सेन ने भी लेखकों के सम्मान में संबोधन किया। नवल प्रयास के अध्यक्ष विनोद प्रकाश गुप्ता ने जुनगा से रहे अपने सम्बन्धों के बारे में जिक्र करते हुए पंचायत का इस आयोजन के लिए आभार प्रकट किया।

 हिमाचल मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट ने कहा कि इसके बाद लेखक इस तहर की साहित्यिक यात्राएं जारी रखेंगे जो दूर दराज के गांव के लिए वहां के स्थानीय लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने की दृष्टि से लेखकों की आपसी सहभागिता से ही होगी। इसके बाद जुनगा के राजा विक्रम सेन ने लेखकों का अपने कलात्मक महल जुनगा में स्वागत किया और लम्बी बातचीत हुई। राजा जुनगा की पुश्तैनी लाईब्रेरी पुरानी और नयी पुस्तकों से सम्पन्न है जिसमें कई हजार हस्तलिखित पांडुलिपियां टांकरी और अन्य भाषाओं की मौजूद हैं जहां तक कोई सरकारी विभाग अभी तक नहीं पहुंच पाया। महल में कई कलात्मक और पुरातात्विक वस्तुओं का बड़ा संग्रह है। इतिहास के शोध छात्र यहां अध्ययन के लिए आते रहते हैं।

इस यात्रा का दूसरा पड़ाव चायल स्थित झाझा गांव था। लेखकों के इंतजार में शिमला आकाशवाणी से सेवानिवृत वरिष्ठ लेखक व रंगकर्मी बी.आर.मेहता जी और चायल एकांत रीट्रीट के मालिक व स्थानीय निवासी देवेन्द्र वर्मा व अन्य ग्रामीण पहले से ही मौजूद थे। लेखकों ने बाबा भलखू के पुश्तैनी घर का भ्रमण किया और काफी समय उनके परिजनों के साथ व्यतीत किया। झाझा में एक मात्र भलखू का ही घर है जो अपनी प्राचीनता को बरकरार रखे हुए है। धज्जी दीवाल और पत्थर की छत और बरामदे वाले इस दो मंजिला भवन का पुरातन सौन्दर्य देखते ही बनता है। इसकी धरातल मंजिल में गौशाला और भंडार है जबकि दूसरी मंजिल, जहां भलखू खुद रहते थे, अपने रहन सहन के लिए हैं।

साहित्य गोष्ठी का आयोजन युवा कृषक सुशील ठाकुर ने अपने निवास पर किया। उनका सहयोग उनकी धर्मपत्नी रमा ठाकुर ने दिया जो हिमाचल न्यूज का संचालन करती है। लेखकों के स्वागत में सुशील जी के मित्र व आभी प्रकाशन के संचालक जगदीश हरनोट विशेष रूप से झाझा पहुंचे थे। जुनगा और झाझा की इन गोष्ठियों का संचालन युवा कवि आत्मारंजन ने किया। एस।आर।हरनोट, दिनेश शर्मा और मोनिका छट्टु ने बाबा भलखू को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कविताएं पढ़ीं जो बहुआयामी अर्थों को लिए हुए थी। बी आर मेहता जी के साथ जिन अन्य लोगों ने कविताओं का पाठ किया उनमें विनोद प्रकाश गुप्ता, सुदर्शन वशिष्ठ, कुल राजीव पंत, आत्मा रंजन, अश्विनी गर्ग, सतीश रत्न, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, राकेश कुमार सिंह, नरेश दयोग, शांति स्वरूप शर्मा, कुशल मुंगटा, कल्पा गांगटा, उमा ठाकुर, धनंजय सुमन शामिल थे।

लेखकों ने झाझा गांव में एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार से मांग की गई कि शिमला कालका रेल लाइन को चायल झाझा गांव तक ले जाया जाए, उनके पुश्तैनी मकान को धरोहर भवन के रूप में सुरक्षित किया जाए और झाझा गांव को भी धरोहर गांव के रूप में विकसित किया जाए। साथ ही चायल में स्थित भलखू पार्क को उनके धरोहर दस्तावेजों को सुरक्षित रखते हुए उसका सौन्दर्य करण किया जाए। आयोजन की समाप्ति पर विनोद प्रकाश गुप्ता और एस आर हरनोट ने इस यात्रा में शामिल लेखकों का और समस्त ग्रामीणजनों का आभार व्यक्त किया।

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