प्रथम शिक्षिका होणे का, देें गौरव-सम्मान तनै
सावित्री बाई फुले याद यो, कररया हिन्दुस्तान तनै
ज्योतिबा तै पढ़कै नै, मन म्हं यो अहसास हुया
पीड़िता शोषित जनता का यो, अनपढ़ता तै नाश हुया
सबका पढ़णा घणा जरूरी, यो पक्का विश्वास हुया
बालिका स्कूल पुणे म्हं खोल्या, यो पहला प्रयास हुया
भले तालाब महं फैंकी कांकर, हथेली पै राक्खी जान तनै
सावित्री बाई फूले………
छोरियां नै पढ़ावण खातर, घर-घर म्हं तू जाण लगी
बिना पढ़ाई कुछ भी ना, यू जन-जन नै समझाण लगी
समाज के ठेकेदार सजग हुये, निशाने पै तू आण लगी
गोबर कीचड़ पत्थर फैंके, जिस रस्ते पै जाण लगी
चरित्रहीन करैगी छोरियां नै, न्यू करण लगे बदनाम तनै
सावित्री बाई फूले……….
बाल विवाह की म्हारे देश म्हं, सबतै बड़ी बीमारी थी
बचपन म्हं विधवा घणी छोरी, दर-दर ठोकर खारी थी
इनकी शादी घणी जरूरी, या तनै मन म्हं धारी थी
केश मुंडन को बंद करने की, मिल-जुल करी तैयारी थी
नाइयों की हड़ताल कराकै, विरोध का करया एलान तनै
सावित्री बाई फूले……………
विधवा प्रसूति गृह खोल कै, करया सबतै बड़ा काम तनै
पहला बच्चा ले कै गोद, यशवंत धरया था नाम तनै
अपणे पति की मौत पे छोडे, सारे ताम रै झाम तनै
खुद मुखाग्नि दे कै नै, कर दिये काम तमाम तनै
‘मुकेश’ कह ज्यब प्लेग फैलग्या, खुद की झोंकी जान तनै
सावित्री बाई फूले………..