अनिल पाण्डेय

(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से प्रसारण पत्रकारिता में स्नातकोत्तर हैं। लेखक पूर्व में प्रतिष्ठित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवम् संचार विश्वविद्यालय के मीडिया प्रबंधन विभाग सहित इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग में बतौर सहायक प्राध्यापक (अतिथि) अध्यापन कार्य कर चुके हैं। लेखक संप्रति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से संबद्ध राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सेक्टर-1, पंचकूला, हरियाणा में बतौर सहायक प्राध्यापक अध्यापनरत हैं। अध्ययन – अध्यापन के साथ ही लेखक पत्रकारीय लेखन में भी सक्रिय हैं -सं।)

इंटरनेट आधारित मीडिया के असीमित विस्तार से मानवीय संचार को असीमित विस्तार मिला है। सोशल मीडिया ने वर्तमान में मुख्यधारा के मीडिया जितनी जगह बना ली है। हाल तो ये है कि जो भी कुछ हम सोशल मीडिया में देखते हैं, वही सब देर–सबेर समाचार के रूप में टेलीविजन, रेडियो और समाचार-पत्र पत्रिकाओं में देखने, सुनने और पढ़ने को मिलता है। सोशल मीडिया को इसके लोकतांत्रिक स्वरूप ने ही लोगों में खूब लोकप्रिय बनाया है। सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल के कारण ही स्मार्ट फोन का बाजार निरंतर बढ़ रहा है।

स्मार्ट फोन टेलीफोनिक वार्तालाप के अलावा रोजमर्रा के कई जरूरी काम निपटाने में मददगार होने के साथ ही यह हम सब की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। मार्केट रिसर्च कंपनी ईमार्केटर के अनुसार इस वर्ष के अंत तक भारत में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या तकरीबन 33.7 करोड़ हो जाएगी जो कि देश की एक चौथाई आबादी से ज्यादा होगी। ईमार्केटर के आकंडों के अनुसार देश में स्मार्टफोन उपभोक्ताओं की संख्या में प्रतिवर्ष 3.1 करोड़ का इजाफा हो रहा है। ईमार्केटर के वरिष्ठ विश्लेषक क्रिस बेंडट्सेन तो यहां तक कहते हैं कि जिस गति से भारत में स्मार्टफोन यूजर्स बढ़ रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुंच बढ़ रही है उससे उम्मीद है कि अगले चार साल में यहां स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों की तादाद करीब 50 करोड़ हो जाएगी।

स्मार्ट फोन उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या के साथ ही दुनिया भर में सेल्फी की वजह से होने वाली मौतों के मामले में भी भारत की पहचान तेजी से बनी है। सेल्फी की वजह से होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया भर में अव्वल है। अमेरीकी नेशनल लैबोरेट्री ऑफ मेडीसिन द्वारा किये गए एक शोध अध्ययन में सामने आया है कि भारत में अक्तूबर 2011 से नबंबर 2017 तक सेल्फी की वजह से 159 लोग काल के गाल में समा चुके हैं, इनमें से 100 मौतें तो पिछले वर्ष ही घटित हुई हैं। वहीं इसी समय में सेल्फी के कारण पूरे विश्व में मरने वालों की संख्या 259 थी। इन्द्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नालाजी, दिल्ली तथा अमेरिका की कर्नजी मेलन यूनिवर्सिटी के द्वारा संपन्न एक शोध अध्ययन से भी यह स्पष्ट हुआ है कि सेल्फी लेने के दौरान सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। वर्ष 2014 से लेकर 2018  के बीच विश्वभर में सेल्फी के कारण कुल 213 मौते हुई, जिनमें से 128 मौते सिर्फ भारत में हुई हैं। उपरोक्त आंकडों से इस बात का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि भारत में सेल्फी और लापरवाही पूर्व वीडियो बनाना, किस कदर एक महामारी के तरह फैल चुका है। मोबाइल फोन का गैरजिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल, सड़कों सहित रेलवे ट्रैक तथा खतरनाक जोखिम भरे स्थानों पर सेल्फी लेने का नया ट्रेंड ही युवाओं के असमय काल कलवित करने के लिए जिम्मेदार है। आये दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक मोबाइल फोन का गैर जिम्मेदारीपूर्ण इस्तेमाल है।

युवाओं द्वारा सबसे अलग अलहदा किस्म की सेल्फी की चाह तथा एक्सक्लूसिव वीडियो बनाने की ललक ने ही स्मार्ट फोन को मौत का सौदागर बना दिया है। कुछ ऐसा ही रोंगटे खड़ा कर देने वाला हादसा दशहरे के दिन अमृतसर शहर के बीचोंबीच स्थित जौड़ा फाटक इलाके में अमृतसर- दिल्ली रेलवे ट्रैक पर हुई रेल दुर्घटना का है। जिसमें लोग रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन के दृश्य को अपने-अपने मोबाइल फोन में कैद कर रहे थे, तो कुछ रावण का पाठ करने के बाद ट्रैक पर आए कलाकार के साथ बेफिक्री से सेल्फी लेने के साथ ही वीडियो बना रहे थे। ट्रैक पर खड़े लोग संभवत: इस बात से अंजान और बेखबर थे कि वे सभी अपने जीवन की आखिरी सेल्फी और अपने मृत्यु का ही लाइव वीडियो बनाने जा रहे हैं। कुछ ही पल में तेज रफ्तार ट्रेन लोगों को कुचलते हुए मौत की ट्रेन साबित हुई और देश दुनिया ने देखा कि रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर सेल्फी लेते और वीडियो बनाते लोगों का क्या हश्र हुआ।

हृदयविदारक इस घटना में जहां 62 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई वहीं सैकड़ों घायल हैं। चश्मदीदों के अनुसार हादसे से पहले जौड़ा फाटक से अन्य तीन ट्रेंने भी गुजरी, तब लोग ट्रैक से हट गए। इसके बाद जब रावण जल रहा था, तब डीएमयू ट्रेन गुजरी। लोग पटाखों की धमक, वीडियो बनाने और सेल्फी लेने की जानलेवा सनक के चलते ट्रेन का हार्न नहीं सुन पाए और उन्हें बचने का मौका ही नहीं मिला।

रेलवे ट्रैक पर पर सेल्फी लेने की कोशिश में वैसे तो कई युवाओं की जान जा चुकी है लेकिन रेलवे के इतिहास में ऐसा भीषण हादसा पहले कभी नहीं हुआ। रेलवे फाटक पर सेल्फी लेने की कोशिश में ही कार्तिक नाम के छात्र की हरिद्वार-अजमेर एक्सप्रेस की चपेट में आने से मौत हो गई थी। यही नहीं, कुछ दिनों पहले ही हैदराबाद में एक युवक की रेलगाड़ी के साथ वीडियो बनाने की कोशिश के कारण उसकी जान पर बन आयी थी। वीडियो बनाने के दौरान रेलगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। सेल्फी लेने के दौरान लापरवाही के कारण होने वाली देश भर में होने वाली मौतों की लंबी फेरहिस्त है। आज भी वह वीडियो आंखों के सामने कौंध जाता है, जब नागपुर में फेसबुक लाइव के दौरान नाव के डूबने 8 लोग मौत के मुंह में समां गए थे। बीते दिनों ऐसा ही मामला उत्तरप्रदेश में भी देखने को मिला था। जब लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में सेल्फी के शौक में एक ही परिवार के 8 लोगों की डूबने से मौत हो गई थी।

अमृतसर की घटना जहां प्रशासन की घोर लापरवाही हैं, वहीं ट्रैक पर जानबूझकर जान जोखिम में डालकर खड़े लोगों की घनघोर लापरवाही है। निश्चित तौर पर रावण दहन स्थल जब रेल ट्रैक के करीब हो तो प्रशासनिक जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन दहन स्थल ट्रैक के नजदीक होने के बाद भी प्रशासन, पुलिस और दशहरा समिति की ओर से सुरक्षा के कोई पुख़्ता प्रबंध नहीं किए गए थे। ट्रैक पर अविवेकी लोग देखा-देखी में एक के बाद एक भीड़ की शक्ल में खड़े होते गए बावजूद इसके उन्हें ट्रैक से हटाने के लिए कोई तैयारी नहीं की गई थी। अमर्यादित आचरण चाहे व्यक्तिगत हो या सामूहिक हमेशा ही दुखदायी होता है। निश्चित रूप से रेलवे ट्रैक पर एकत्रित लोग उन्मादी भीड़ की शक्ल में नहीं थे। लेकिन यह सत्य है की भीड़ की प्रकृति अस्थाई और अंसगठित होने के साथ ही व्यक्तिगत बुद्धि का लोप करने वाली होती है। यह केवल इशारों और सलाह के प्रति संवेदनशील होती है। भीड़ हमेशा सनक की शिकार होती है।

अमृतसर की इस भीषण और भयावह रेल दुर्घटना से न केवल प्रशासनिक अमले बल्कि स्मार्टफोन का उपयोग करने वाले हर व्यक्ति को इस बात का संकल्प लेना चाहिए कि सेल्फी लेने और वीडियो बनाने के दौरान उसकी खुद की सुरक्षा उसकी पहली प्राथमिकता होगी। सेल्फी लेना वैसे तो काफी मजेदार होता है, मगर कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। सेल्फी लेने की सनक में अक्सर लोग मौत को गले लगा लेते हैं। देश में हाल ही में घटी कई घटनाएं इसके जीवंत प्रमाण हैं। इस मामले में सरकारों द्वारा उठाये कदम तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक हम सभी इन हादसों से सबक लेकर सचेत न हो जाएं। हम सभी को आत्मघाती एक्सक्लूसिव सेल्फी की सनक से बचना होगा, साथ ही इस बात को भी समझना होगा कि इंटरनेट अब हर किसी की मुट्ठी में है। फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सअप सहित सभी वेबसाइटों की मोबाइल फोन पर सहज ही उपलब्धता के चलते तकरीबन हर कार्यक्रम, घटना के वीडियो अब हर किसी की पंहुच में हैं। हम आप नहीं वीडियो नहीं बनायेंगे तभी ये हम तक पहुंच जाएंगे। वीडियो बनाये और खूब सेल्फी भी लें, लेकिन अपने दिल-दिमाग में वीडियो बनाने और सेल्फी लेने की सनक को इस कदर न हावी होने दे कि  इस बात का भी ख्याल  भी न रहे कि जिस रेलवे ट्रैक पर खड़े हैं, वहां से कभी भी कोई ट्रेन फर्राटा भरती हुई गुजर सकती है।

संपर्क – 8319462007

 ई मेल – mcrpsvvanil@gmail।com

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