( खेल के क्षेत्र में हरियाणा नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, जो खिलाड़ियों की जी तोड़ मेहनत और लगन और निरंतर अभ्यास का नतीजा है। बेहतर प्रदर्शन व मेडल प्राप्त करने के लिए खिलाड़ियों को ‘देस हरियाणा’ पत्रिका की ओर से बधाई। प्रस्तुत है एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर प्रकाश डालता अविनाश सैनी का लेख। देस हरियाणा पत्रिका के संपादक मंडल से जुड़े रंगकर्मी-संस्कृतिकर्मी अविनाश सैनी रोहतक निवासी हैं। वर्षों तक नवभारत टाइम्स में रिपोर्टिग की। राज्य संसाधन केंद्र हरियाणा, रोहतक में कार्य करते हुए हरकारा पत्रिका के संपादन से जुड़े रहे हैं। आकाशवाणी के उदघोषक हैं। पिछले दो दशकों से साक्षरता अभियान में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहे हैं – सं.)
इंडोनेशिया के जकार्ता और पेलम्बर्ग में हुए 18वें एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने संतोषजनक प्रदर्शन करते हुए इन खेलों के इतिहास में सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया है। पदक तालिका में 8वें स्थान पर रहे भारत ने इन खेलों में 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदकों सहित कुल 69 पदक जीते। इससे पूर्व 2010 में ग्वांग्झू (चीन) में हुए खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने सर्वाधिक 65 पदक जीते थे। इसके साथ ही भारत ने एशियाई खेलों में सर्वाधिक 15 स्वर्ण पदक जीतने के अपने रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली जो उसने 1951 के पहले खेलों में हासिल किए थे।
इन खेलों की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि भारत ने एथलेटिक्स की स्पर्धाओं में 9 स्वर्ण पदकों सहित कुल 9 पदक जीते जो अब तक का रिकॉर्ड है। यही नहीं, इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने सेपक तकरा और टेबल टेनिस में पहली बार पदक जीते। यह बात अलग है कि भारतीय दबदबे वाले कुछ खेलों में अप्रत्याशित रूप से हमारे खिलाड़ियों को असफलता का मुँह देखना पड़ा। सबसे बड़ी निराशा पुरुष कबड्डी में मिली जिसमें विश्व विजेता तथा सात बार की एशियाई चैंपियन भारतीय टीम इन खेलों के इतिहास में पहली बार फाइनल में पहुँचने से रह गई। अन्ततः भारत को पहली बार पुरुष कबड्डी में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
भारतीय टीम को लीग चरण में भी कोरिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। महिला कबड्डी में भी दो बार की पूर्व चैंपियन भारतीय टीम ईरान के समक्ष ठहर नहीं पाई और हम स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए। यही हाल हॉकी में हुआ। लीग मुकाबलों में लगातार बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद गत चैंपियन भारत की पुरुष हॉकी टीम सेमीफाइनल में अपने से नीची रैंकिंग वाली मलेशिया से ‘पेनल्टी शूट’ में हार गई और केवल कांस्य पदक जीत पाई। हालाँकि महिला हॉकी टीम ने तीन बार की चैंपियन चीन की टीम को हरा कर 20 साल में पहली बार फाइनल में जगह बनाई लेकिन कबड्डी की तरह महिला हॉकी टीम भी रजत पदक ही जीत सकी। इसके अलावा वर्ल्ड चैंपियन तीरंदाज दीपा कुमारी जहाँ पदक से चूक गई, वहीं चोट के चलते ओलंपिक खेलों में सबका दिल जीतने वाली जिम्नास्ट दीपा करमाकर भी कोई करिश्मा नहीं दिखा पाई।
हरियाणा के दबदबे वाले खेल कुश्ती और मुक्केबाजी में भी भारतीय खिलाड़ी अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए। ओलम्पिक रजत और कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार और ओलम्पिक पदक हासिल करने वाली देश की पहली महिला पहलवान साक्षी मालिक पहले ही दौर में हार गई। हरियाणवी खिलाड़ियों के कुल प्रदर्शन की बात करें तो राष्ट्रमंडल खेलों की तरह एशियाई खेलों में भी यहाँ के खिलाड़ी छाए रहे।
हरियाणा के खिलाड़ी अपने प्रदेश के अलावा रेलवे और सर्विसेज की तरफ से भी खेले तथा उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 6 स्वर्ण पदकों सहित कुल 18 पदक जीते। कुश्ती में देश को 2 स्वर्ण पदक मिले और ये दोनों ही हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते। बजरंग पुनिया ने 65 कि. ग्रा. फ्री स्टाइल कुश्ती में स्वर्ण पदक हासिल किया जो इन खेलों में देश को मिलने वाला पहला पीला तमगा था। इसी तरह मशहूर फौगाट बहनों में से एक चरखीदादरी की विनेश फौगाट एशियाई खेलों में कुश्ती का स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी। उसने यह उपलब्धि 50 कि. ग्रा. भार वर्ग में हासिल की। पाँव में चोट लगने के बाद एक समय विनेश को कुश्ती का खेल छोड़ने की सलाह दी गई थी और कहा गया था कि ऐसा न करने पर उसकी जान भी जा सकती है। लेकिन धुन की पक्की विनेश ने हार नहीं मानी और पहले कॉमनवेल्थ खेलों में और फिर एशियाई खेलों में दोहरी स्वर्णिम सफलता हासिल की।
पानीपत के नीरज चौपड़ा ने एशियाई खेलों के इतिहास में पहली बार देश को भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) स्पर्धा का स्वर्ण पदक दिलवाया। इसी तरह अरपिंदर सिंह भी तिहरी कूद में 48 साल बाद भारत को एशियाई खेलों का गोल्ड मेडल दिलवाने में कामयाब रहे। चार साल से सोनीपत में रहकर प्रैक्टिस कर रहे अरपिंदर ने 16.77 मीटर की कूद लगाई। जींद जिले के छोटे से गाँव उझाना निवासी मंजीत सिंह ने पुरुषों की 800 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक जीत कर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया। इस 20 वर्षीय खिलाड़ी ने दौड़ पूरी करने में 1:46.15 मिनट का समय लिया। इस स्पर्धा का रजत पदक भी भारत जिनसेन जॉनसन ने जीता।
हरियाणा ने कुश्ती, हॉकी, कबड्डी के अलावा मुक्केबाजी में भी देश को नरक होनहार खिलाड़ी दिए हैं। इन्हीं में से एक रोहतक जिले के गाँव मायना निवासी मुक्केबाज अमित पंघाल ने 49 कि. ग्रा. भार वर्ग में सोना जीतने में सफल रहे।भारतीय सेना में कार्यरत अमित ने फाइनल मुकाबले में ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता उज्बेकिस्तान के हसनबोय दुश्मातोव को हराया। इन खेलों में मुक्केबाजी का यह इकलौता स्वर्ण पदक रहा। इससे पूर्व अमित ने गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीता था। इनके अलावा यमुनानगर के संजीव राजपूत ने निशानेबाज़ी की 50 मीटर रायफल 3 पोजीशन स्पर्धा में रजत पदक जीत कर लगातार चार एशियन गेम्स में पदक जीतने का रिकॉर्ड बनाया। भारतीय नौसेना में अधिकारी संजीव एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं। मुक्केबाजी (75 कि. ग्रा.) में कांस्य पदक जीतने वाले हिसार के 26 वर्षीय विकास कृष्ण यादव ने भी बॉक्सिंग में लगातार 3 एशियाई खेलों में पदक जीतने का अनोखा रिकॉर्ड स्थापित किया है। डिस्कस थ्रो में कांसे का तमगा जीतने वाली प्रदेश की बेटी सोनीपत की सीमा पुनिया ने भी इन खेलों में एक नई उपलब्धि अपने नाम की। ग्यारह साल की उम्र से खेलों में भाग ले रही सीमा 4 कॉमनवेल्थ, 2 एशियाई और 3 ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन गई है। सीमा ने पिछले एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था लेकिन इस बार उससे बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद वह कांस्य पदक ही जीत पाई। शूटिंग की ट्रैप स्पर्धा में लक्ष्य श्योराण ने रजत और 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में प्रदेश के अभिषेक वर्मा ने देश के लिए कांस्य पदक जीते। ज्योति बल्हारा ने कुराश जैसे अनाम खेल में रजत पदक और नरेन्द्र ग्रेवाल ने वुशू में कांसे का तमगा हासिल किया। व्यक्तिगत स्पर्धाओं के अलावा विभिन्न टीम स्पर्धाओं में भी हरियाणा के खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए देश के लिए पदक जीतने में अहम योगदान दिया। बीस साल बाद रजत पदक जीतने वाली महिला हॉकी टीम में कप्तान रानी रामपाल सहित प्रदेश की 8 खिलाड़ी रही जिन्होंने कुल 14 गोल किए। कांस्य पदक हासिल करने वाली पुरुष हॉकी टीम में भी अधिकतर खिलाड़ी हरियाणा और पंजाब के रहे। इसी तरह रजत पदक जीतने वाली राष्ट्रीय महिला कबड्डी टीम तथा कांस्य पदक हासिल करने वाली पुरुष कबड्डी टीम में भी हरियाणा के खिलाड़ियों की बहुतायत रही। दूसरा स्थान हासिल करने वाली एक्वेरियम और तीसरे स्थान पर रही रोविंग की टीम में भी हरियाणा के खिलाड़ी रहे। तीरंदाजी में देश को मैन्स टीम कंपाउंड स्पर्धा का रजत पदक दिलवाने में रोहतक के अमन सैनी का अहम योगदान रहा। कुल मिलाकर 18वें एशियाई खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, खेलों के उदघाटन और समापन, दोनों समारोहों में ध्वजवाहक बनने का गौरव हरियाणा के खिलाड़ियों को मिला। उदघाटन समारोह में एथलीट नीरज चौपड़ा और समापन समारोह में हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल भारतीय दल के ध्वजवाहक बने। गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए 21वें कॉमनवेल्थ खेलों में भी हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा रहा था। उन खेलों में प्रदेश के खिलाड़ियों ने 22 पदक जीते थे जो देश की तरफ़ से जीते गए कुल पदकों का लगभग 33% था।
सन 2014 के 17वें एशियन गेम्स में भी देश के लिए जीते गए 57 पदकों में से 23 पदक हरियाणा के खिलाड़ियों ने (व्यक्तिगत या टीम के हिस्से के तौर पर) जीते थे। इस बार भारत के 570 खिलाड़ियों ने 36 खेलों में हिस्सा लिया। इन में से 83 खिलाड़ी ( 50 पुरुष और 33 महिला) हरियाणा से रहे।
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