विश्व की समस्त भाषाओं के बारे में सार्वभौमिक सत्य – डा. सुभाष चंद्र

प्रोफेसर सुभाष चंद्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र

जब लोग इकट्ठे होते हैं तो बात ही करते हैं। जब वे खेलते हैं, प्यार करते हैं। हम भाषा की दुनिया में रहते हैं। हम अपने दोस्तों से, अपने सहयोगियों से, अपनी पत्नियों से, पतियों से, प्रेमियों से, शिक्षकों से, मां-बाप से, अपने प्रतिद्वंद्वियों से यहां तक कि अपने दुश्मनों से भी बात करते हैं। अजनबियों से। टेलिफोन पर या प्रत्यक्ष तौर पर। हमारा कोई भी क्षण भाषा से अछूता नहीं है।  जब कोई उत्तर देने वाला नहीं होता तो भी हम खुद से बात करते हैं। कुछ लोग सोते हुए बड़बड़ाते रहते हैं। हम अपने पालतू पशुओं कुत्ते-बिल्लियों, गाय-भैंसों-बेलों, भेड़-बकरियों से बात करते हैं।

भाषा हमें अन्य पशुओं से अलग करती है। अपनी मानवता को समझने के लिए हमें भाषा की प्रकृति को समझना जरूरी है जो हमें मानव बनाती है। अफ्रीका में बच्चे के पैदा होने पर उसे किंटू kintu  कहा जाता है, जिसका मतलब है वस्तु  muntu नहीं, जिसका मतलब है आदमी। भाषा सीखने के बाद आदमी बनता है।

हर मनुष्य एक भाषा जानता है। लेकिन भाषा के बारे में जानते हैं या नहीं। भाषा के बारे में जानने का अर्थ है उसके व्याकरण को जानना यानी उसकी ध्वनियों, शब्दों, पदों, वाक्यों और उसके अर्थ को जानना।  विश्व की समस्त भाषाओं के बारे में जानने योग्य सार्वभौमिक सत्य के बिंदु दिए गए हैं।

  1. जहां जहां मानव हैं, वहां भाषा है।
  2. कोई भी आदिम भाषा नहीं है। सभी भाषाएं समान रूप से जटिल और किसी भी तरह विचार को अभिव्यक्त करने में सक्षम हैं। किसी भी भाषा की शब्दावली में नई आवधारणाओं के लिए नए शब्दों को शामिल किया जा सकता है।
  3. सभी भाषाएं समय के साथ परिवर्तनशील हैं।
  4. किसी भाषा के भाषायी प्रतीकों की ध्वनि और उनके अर्थ यादृच्छिक हैं।
  5. सभी मानव भाषाओं में सीमित ध्वनियां हैं। इन ध्वनियों के जोड़ से सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं और शब्दों को जोड़कर असीमित वाक्यों का निर्माण करते हैं।
  6. सभी व्याकरणों में शब्द और वाक्य बनाने के लिए समान किस्म के नियम हैं।
  7. सभी उच्चरित भाषा में ध्वनियों के वर्ग होते हैं, जिंहे विशेष गुणों से परिभाषित किया जा सकता है। सभी उच्चरित भाषाओं में स्वर और व्यंजन ध्वनियां होती हैं।
  8. सभी भाषाओं में एक जैसी व्यकारणिक कोटियां हैं। जैसे संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, आदि
  9. संसार की सभी भाषाओं में अर्थ संबंधी सार्वभौमिक गुण पाए जाते हैं।
  10. सभी भाषाओं में निषेधात्मक, प्रश्नवाचक, आदेशात्मक, भूतकालिक या भविष्यपरक वाक्य बनाने के नियम हैं, तरीके हैं, क्षमता है।
  11. सभी भाषाओं में अमूर्तताएं होती हैं जैसे अच्छाई, कौशलपूर्ण
  12. सभी भाषाओं में स्लेंग, कर्णप्रिय व कर्णकटु शब्द हैं
  13. भाषाओं में काल्पनिक, अवास्तविक, कथात्मक उच्चारण है।
  14. सभी भाषाएं इतनी समृद्ध हैं कि किसी भी समय, किसी भी परिस्थिति में कुछ भी कहने के लिए चुनाव करने की छूट मिलती है।
  15. सभी भाषाओं में असीमित वाक्य निर्माण की क्षमता है। सभी भाषाओं के वाक्य निर्माण के अपने तरीके हैं।
  16. सभी मनुष्यों की दिमागी संरचना में भाषा सीखने, जानने और प्रयोग करने की जैविक क्षमता है जो विभिन्न उच्चरित और लिखित में प्रकट होती है।
  17. हर सामान्य बच्चे में विश्व की किसी भी बाषा को सीखने की क्षमता है। चाहे वह किसी भी नस्ल, भूगोल, समाज या आर्थिक वर्ग से संबंधित हो। भाषाओं में अंतर जैविक कारणों से नहीं है।

संपर्क – 9416482156

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