राम नाम का कर ले जाप – कर्मचंद केसर

हरियाणवी ग़ज़ल


राम नाम का कर ले जाप।
मिटज्याँगे सब दुक्ख संताप।
कलजुग के पहरे म्हं देक्खो,
धरम घट्या अर बधग्या पाप।
समझण आला ए समझैगा,
तीरथाँ तै बदध सैं माँ बाप।
सारे चीब लिकड़ज्याँ पल म्हँ
जिब उप्पर आला मारै थाप।
औरत नैं क्यूँ समझैं हीणी,
पंचैत चैंतरे अर यें खाप।
भामाशाह सेठ होया सै,
बीर होया राणा प्रताप।
बहू नैं चिन्ता सै रोटी की,
सासू कै चढ़रया सै ताप।
सारी दुनियां अपणी दीक्खै,
नजर बदल कै देख ल्यो आप।
सच की राह कंटीली ‘केसर’
बौच-बौच पां धरिये नाप।

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