हरियाणवी ग़ज़ल
बुरे मणस का सग करै क्यूँ।
मन की स्यान्ति भंग करै क्यूँ।
मानवता कै बट्टा लाग्गै,
दीन दुखी नैं तंग करै क्यूँ।
काग बणैं नां हँस कदे भी,
इसपै धौला रंग करै क्यूँ।
जीन्दे जी कै ठोक्कर मारै,
तुरबत उप्पर रंग करै क्यूँ।
सबका भला मना ले ‘केसर’
मतलब खात्तर जंग करै क्यूँ।