कंधे – नाओमी शिहाब नाय

नाओमी शिहाब नाय ( जन्म 1952 ) अनुवाद-डा. दिनेश दधीचि  

 बारिश में एक शख़्स गली पार कर रहा है
धीमे कदम रखते हुए
उत्तर-दक्षिण को दो बार देखते हुए।
वजह? उसका बेटा सोया है
उसके कंधे पर।
कोई भी कार उस पर पानी के छींटे न डाले।
कोई कार उसकी छाया के नज़दीक भी न फटके।
वह उठाए हुए है
संसार का सबसे ज़्यादा नाज़ुक सामान।
लेकिन उस पर कहीं कोई निशान नहीं है।
उसकी जैकेट पर
“नाज़ुक सामान” या “ज़रा संभाल कर”
नहीं लिखा है।
सांसें भर रही हैं उसके कान में।
उसे बच्चे के सपनों की अनुगूंज
अपने भीतर गहरे में सुनाई देती है।
वह जो कर रहा है,
अगर हम वैसा ही एक-दूसरे के साथ
नहीं करते,
तो हम इस दुनिया में रहने के लायक
नहीं बन पाएंगे।
सड़क तो और ज़्यादा चौड़ी ही होगी।
और ये बारिश कभी रुकने वाली नहीं।

Naomi Shihab Nye ( b. 1952 )

Shoulders

A man crosses the street in rain,
stepping gently, looking two times north and south,
because his son is asleep on his shoulder.
No car must splash him.
No car drive too near to his shadow.
This man carries the world’s most sensitive cargo
but he’s not marked.
Nowhere does his jacket say FRAGILE,
HANDLE WITH CARE.
His ear fills up with breathing.
He hears the hum of a boy’s dream
deep inside him.
We’re not going to be able
to live in this world
if we’re not willing to do what he’s doing
with one another.
The road will only be wide.
The rain will never stop falling.

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