अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति का अधिकार लोकतंत्र की मूल भावना – संजय कुमार

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आज किसान भवन सभागार, असन्ध रोड़ में ” स्वतन्त्रता, समानता, न्याय, अभिव्यक्ति की आज़ादी और असहमति की कद्र ” विषय पर सिविल सोसाइटी, पानीपत द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें उपरोक्त जन मुद्दों व मानवीय, सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए अनेक सामाजिक संस्थायें, संगठन, व जागरूक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता व भारत पाकिस्तान मैत्री के पुरोधा कुलदीप नैयर को श्रद्धांजलि से की गई। अध्यक्ष मंडल में जनवादी महिला समिति की प्रधान संतरो देवी, किसान नेता व किसान भवन के प्रधान सुरेश दहिया, वयोवृद्ध कार्यकर्ता सुखदेव सिंह सुक्खा, पानीपत के प्रसिद्ध इतिहासकार व लेखक कवि रमेश चन्द्र पुहाल, प्रदीप कासनी, प्रो अबरोल, सुरिंदर पाल सिंह, डॉ शंकर लाल शर्मा शामिल रहे।

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सेमिनार में उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता पूर्व आई ए एस प्रदीप कासनी ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश मे नागरिकों के अभिव्यक्ति, स्वतंत्रता, समानता के अधिकारों की रक्षा करना किसी भी सरकार का महत्वपूर्ण दायित्व बनता है। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राह रहे हैं और आजादी के दौरान देश के लिए लड़ने वाले शहीदों ने अपनी कुर्बानियां देकर हमारे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को संचित किया था। किसी भी जनतंत्र में जनता की आवाज हमेशा बहुत मूल्यवान होती है और मीडिया व अन्य स्वतंत्र संस्थाएं लोकतंत्र की मजबूत बुनियाद का काम करती है। विरोध करने वाले दोषी करार दिए जा रहे हैं और उन पर देशद्रोही का ठप्पा लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश के नाम पर देश मे सामाजिक कार्यकर्ताओं की नजरबन्दी दुर्भाग्यजनक है। अर्बन नक्सल के नाम पर असहमति की आवाज को दबाया जा रहा है जबकि इसी केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असहमति लोकतंत्र में प्रेशर वाल्व का काम करती है और अगर असहमति को दबाया गया तो देश में विस्फोट हो जाएगा।

करनाल से पधारे प्रो अबरोल ने कहा कि सिविल सोसाइटी के यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमारे संवैधानिक मूल्यों में से एक है लेकिन मौजूदा दौर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है और तमाम विरोधी आवाजों को दबाने की कोशिश की जा रही है। देश में दिनों दिन नफरत का माहौल बनाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता राम मोहन राय ने कहा कि किसी के तौर तरीकों और राजनीतिक विचारधारा से सहमति असहमति हो सकती है लेकिन उसका यह मतलब कदापि नहीं कि उन्हें खामोश कर दिया जाए। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है। किसान नेता ईश्वर सिंह ने सरकार और आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस देश को तोड़ने वाली राजनीति कर रहा है। इनके नेताओं ने उस समय अंग्रेजों का साथ देते हुए क्रांतिकारियों की मुखबिरी की थी और आज विदेशी कम्पनियों को देश बेच रहे हैं

थिएटर आर्ट ग्रुप के कलाकारों ने असहमति के अधिकार और जनवादी गीतों से हॉल को इंकलाबी भावना से भर दिया। अमन, शांति, सद्भाव और मैत्री के गीत गाये गए और अपने गीतों के जरिये लोगों से जनवादी अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया गया। कार्यक्रम के अंत में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ शंकर लाल शर्मा ने एक प्रस्ताव पढ़ा जिसमें देश के हर नागरिक के स्वतंत्रता, समानता व अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा की वकालत की गई। सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, वरवरा राव, स्टेन स्वामी, अरुण फरेरा की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा गया कि राज्य को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते। हिंसा को कभी मान्यता नहीं दी जा सकती। लोकतंत्र में संवाद से ही रास्ता निकलेगा।

कार्यक्रम में जनवादी महिला समिति से पायल, सुमन, शहीद वीरेंद्र स्मारक समिति से भीम सिंह, मदन पाल छोक्कर, किसान सभा से किसान नेता ईश्वर सिंह, हिन्द मजदूर सभा से अशोक, पुष्पेंद्र शर्मा, अवामी एकता मंच से संजय कुमार, प्रदीप, अंकित, परवेज, राजेश, शबनम, मजदूर संगठन इफ़्टू से तैयब, भगत सिंह से दोस्ती मंच से दीपक, सीटू से सुनील दत्त, टैग से गौरी, रविंद्र आदि शामिल हुए।

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