जिला करनाल के गांव सीधपुर में श्री हिरदाराम और श्रीमती माया देवी के घर सन् 1920 में जन्म। नाम मन्साराम। समस्त जीवन मजदूर किसान को जागृत करने के लिए लगा दिया। 27 अक्तूबर1997 को देहावसान।
भाई रै… मैं मरणा चाहूं लड़कै
बेकारी भूख गरीबी गुलामी छाती के मैं रड़कै
अत्याचार सहन नहीं होता, अन्याय से नहीं हो समझौता
वो माणस का बीज नहीं जो मरै बुरी तरह सड़कै
बच्चे बूढ़े लावारिस रोवें, बेघर लाखों सड़क पै सोवैं
जहर खाकै मरैं कहीं पै, कहीं मरै कूवे मैं पड़कै
अबलायें भूखी लाज बेच रही, मां बेट्यां नै आज बेच रही
दुखी दीनों का रोणा जिगर म्हं, बणकै बिजळी कड़कै
शहीदों नै कहा बागी हैं हम, नहीं मरणे का मुनिश्वर को गम
भगत सिंह नै यही बात कही, फांसी के ऊपर चढ़कै
ऐसा वक्त था एक दिन किसान तेरै पै
थे राहू बण कर चढ़े हुए धनवान तेरै पै
सारी फसल कमाई लाला ठाकै ले जा था
बैल भैंस करजे म्हं तेरै लाकै ले जै था
एक कच्चा कोठा टूटी बचै थी छान तेरै पै
सारी कमाई जा ले थी ना सूद पाटै था
ठेठ गरीबी के मैं सारी उमर काटै था
वां राज करें थे लुटेरे शैतान तेरै पै
था शेर बणग्या स्यार बट्टा लग ग्या लाज म्हं
जमीन गिरवी धर ली तेरी सब ब्याज ब्याज म्हं
सरकार नै भी दिया नहीं कभी ध्यान तेरै पै
चौधरी सर छोटू राम नै तेरी लड़ी लड़ाई थी
बणवा कर कानून कर्ज जमीन छुड़वाई थी
वां जिन्दगी भर नहीं उतरेंगें अहसान तेरै पै
आज फिर किसान पगड़ी संभाळ खतरे म्हं
जमीन सारी बैकों म्हं दी डाल खतरे म्हं
बाकी बची मरोड़ मुनीश्वर श्रीमान तेरै पै
सुणिए मजदूर किसान मैं तेरी बात कहूंगा
तेरै दुखों की कहाणी सारी रात कहूंगा
अठारह घण्टे करके काम तू फिर भूखा सोर्या
कर्ज लेकै कर्ज तारै और कर्ज टोहर्या
यू तेरी गैल म्हं के होर्या, उत्पात कहूंगा
तनै लूटण खातर मण्डियां म्हं ला राखे डेरे
बोली दे कै माटी के भा दाणे बिकैं तेरै
तेरे क्योंकर साथ लगा रहे लुटेरे घात कहूंगा
देसी और बिदेशी दोनों सरमायेदार मिले
ब्लैकी गुण्डेराज करणिए चोर चकार मिले
यां चोरां तै पहरेदार मिले, कुजात कहूंगा
लुटेरा तेरी जडां नै काट कै खाण लागर्या
तेरी नीलामी होगी, वो दिन आण लागर्या
मुनिश्वर जो बतार्या, वो हालात कहूंगा
ये किसनै लूट मचाई मजदूर तेरी छान म्हं
पूंजीपति के कोठी बंगले ऊंचे महल अटारी क्यों
बांस टूट रहे फूंस नहीं ये टूटी छान तुम्हारी क्यों
और टूटी चारपाई, मजदूर तेरी छान म्हं
ठंडी हवा लगे छप्पर म्हं पोष माघ की सरदी है
जुती टूटी कुरता फटर्या ऐसी तुम्हारी वरदी है
दस बन्दे तीन रजाई, मजदूर तेरी छान म्हं
तेरे घर म्हं झूठे बर्तन थाळी तवा परात भी
और पेड़ कै नीचे आकर ठहरी तेरी बरात भी
कुड़की ले आए कसाई, मजदूर तेरी छान म्हं
पूंजीपति के दर्द पेट म्हं घर पै डाक्टर आता है
तेरा बाळक बीमार होकर तड़प तड़प मर जाता है
पर मिलती नहीं दवाई, मजदूर तेरी छान म्हं
पूंजीपति की शादी म्हं वहां आतिशबाजी छूट रही
कुत्ते भी खा रहे मिठाई दस बारां दिन लूट रही
पर रोटी नहीं बनाई, मजदूर तेरी छान म्हं
बाबू जी का मोटर साईकल जब था रोड़ पै छूट रहा
और तू पत्नी सहित धूप म्हं सड़क पै रोड़ी कूट रहा
गाळी दे रहा अन्याई, मजदूर तेरी छान म्हं
पूंजीपति ले गया कमाई तेरी खून पसीने की
गोळी मार गर फोड़ी नहीं तूने तोंद कमीने की
भूखी पड़ी जच्चा लुगाई, मजदूर तेरी छान म्हं
पूंजीपति के मुरदे पर रेशम का कफन उढ़ाया जा
तेरा बाळक मरे तो नंगा पाणी बीच बहाया जा
भीष्म क्या करै कविताई, मजदूर तेरी छान म्हं
कहैं सारे जहां से अच्छा है हिन्दुस्तान हमारा
बेरोजगार कर्जदार फिरैं मांगणियां का लारा
दबे आधे लोग गरीबी की, रेखा कै नीचै रोवैं
बेघरबार करोड़ों लोग सड़कां पै पड़कै सोवैं
करोड़ों बच्चे पशु चरावैं ढ़ाब्यां पै बरतन धोवैं
ईलाज बिना बीमार करोड़ों तड़पै जीवन खोवैं
लाज बेच अबलाएं लाखों, रो रो कै करैं गुजारा
गांधी के चेल्यां नै देखो, या कैसी हवा चलादी
पाखण्ड रिश्वत फिरका परस्ती, की पूरी आजादी
दहेज थोड़ा ल्यावण पै बहू लाकै आग जळादी
रिश्वत के बिन जेळ काटर्या थाणे मैं फरियादी
न्याय बिकता मोल यहां पै स्वार्थ का बजै नक्कारा
मुसलमान सिख हिन्दू मर रहे आपस म्हं लड़कै
रही नंगी नाच बुराई सच्चाई रोवै घर म्हं बड़कै
चरित्रहीन हो गये मनिस्टर अय्यासी म्हं पड़कै
बदमाश भीरू बोळा होग्या सारा देश बिगड़कै
तुम्हीं बताओ कैसे मुनीश्वर यें दे दे झूठा नारा
कि सारे जहां से अच्छा है हिन्दुस्तान हमारा
भगवान तो यहीं इस जहान म्हं मिलैगा
मन्दिर मैं मिले ना, बियाबान म्हं मिलैगा
भंयकर बरसात म्हं, ओळों की मार म्हं
करता हुआ वो काम गरमी गुव्वांर म्हं
खेत म्हं मिलेगा, खलियाण म्हं मिलैगा
सरदी की सीत म्हं फुटपाथ पै वो सोता
होटलों की झूठी प्यालियों को धोता
हलवाई की किसी दुकान म्हं मिलैगा
समुद्र को चीरता वो पर्वतों पै चढ़ता
तुफान आंधियों म्हं आगे ही आगे बढ़ता
सरहदों पै युद्ध के मैदान म्हं मिलैगा
मृत्यु से हर जगह टकराता हुआ मिलैगा
वो दुश्मनों से लडऩे जाता हुआ कहीं
उड़ता हुआ जहाज पर आसमान म्हं मिलेगा
कूट- कूट रोड़ी सड़कों को वो बनाता
नहरें निकालता वो मशीन को चलाता
कोयले निकालता कहीं खान म्हं मिलैगा
बनाता हुआ स्वर्ग वो इस संसार को
सुनता हुआ वो क्रंतिकारी प्रचार को
मुनिश्वर देव के व्याख्यान म्हं मिलैगा