कुर्सी के रोले नै देखो किस ढाल का काम करया- विक्रम राही

विक्रम राही

कुर्सी के रोले नै देखो किस ढाल का काम करया
माणस माणस भिडा दिए कैसा यो इंतजाम करया
भाई नै भाई की चाहन्ना यो धर्म कड़े तै आग्या
जात का अपणा ए झगड़ा जो चौगरदे नै छाग्या
हिंदू का मुस्लिम पड़ोसी काम दूसरे के आग्या
कोए दूर बैठकै लड़ा रहया भेद तनै ना पाग्या
भाई तै भाई पाड दिया इस्तेमाल आवाम करया ।
ढोंगी बाबा बुका रहे के धर्म की हाणी ना चाहिए
नेता नतमस्तक होते उडे के बात बताणी ना चाहिए
कुणसे धर्म की बात करो मनघडंत कहाणी ना चाहिए
ठगबंधन मजबूत बणया के कति शर्म आणी ना चाहिए
अंधभक्ति का बढया ट्रैफिक ज्ञान का रस्ता जाम करया
बहु बेटी की इज्जत रुल री मान नहीं किसान का
आदिवासी की हालत दुख देखो दलित इंसान का
मजदूर के सर पै छत कोन्या कारीगर आलिशान का
बेरोजगार नै रोजगार नहीं यों नक्शा हिन्दुस्तान का
इन माणसां का म्हारे देश मैं शोषण क्यों सरेआम करया
धर्म ग्रन्थ आर थारे गपोडे आडै धरे धराए रह ज्यागें
शोषित पीड़ित लोग बता कद तक दुखडा सह ज्यांगे
खोदे सै जो मिलकै तमनै खड्डे वै स्याहमी आ ज्यागें
जनता होगी जागरूक थारे हाथ मैं कालर आ ज्यागें
विक्रम राही सुण ल्यो सारे कट्ठा आज यो गाम करया

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