बात की बात

अविनाश सैनी 

1.

आधुनिकता की दौड़ में खुद को, आगे कहते आज
पर पिछड़ेपन को ढ़ो रहा, अपना यह समाज
अपना यह समाज, जात और गौत पे मरता
इंसानी मूल्यों की न कुछ परवाह करता
औरत, दलित, कमजोर का, यहां रहा न कोई मान,
डर कर नई सोच से ले रहे, अपने बच्चों की जान।

2.

हरियाणा में युवाओं का जीना है दुश्वार
मंहगा पड़े है उनको करना एक-दूजे से प्यार
मंहगा पड़े है प्यार, जान पर है बन आती
उनके जज्बातों को दुनिया समझ न पाती
राधा किशन के भक्त हैं देखो, कैसे अत्याचारी
झूठी शान के नाम पे रोंद रहे हैं खिलती क्यारी।

3.

हरियाणा में युवाओं की, नहीं है अब कोई खैर
खापियों से मोल ले लिया, उन्होंने ऐसा बैर
मोल ले लिया बैर, कि हक से जीना चाहते
इसीलिए बेमौत रोज़, कई मारे जाते
ले कानून हाथ में इनके पीछे पड़ गई खाप
अपने घर में पूछ न जिनकी, बन गए सबके बाप।।

More From Author

हम ढूंढते फिरे जिन्हें खेतों और गलियों में – ओम सिंह अशफाक

डा. भीमराव आंबेडकर का नजरिया – धर्म और राजनीति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *