ना तो तिसाइये रह ज्यागी

लोकविनोद


एक बै एक गादड़ अर एक गादड़ी रैहट पै पाणी पीण चले गए जब गादड़ी पाणी पीण लागदी तो रैहट की कटा-कट की आवाज तै पाणी पीणा छोड़ देंदी। गादड़ बोल्या-के बात सै? गादड़ी बोली अक् जब मैं पाणी पीण लागूं सूं या कटा-कट होण लागज्या सै। गादड़ नै समझाया अक् बावली इस कटा-कट म्हैं ए पी गी तो पी गी ना तो तिसाइये रह ज्यागी।

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