एक बै की बात सै एक ताऊ रेल में सफर करै था। छोरा तो उसके था नहीं, वो खुदे बेटी के पीलिया जावै था अर एक गठड़ी तीलां की लेर्या था। इतनै में एक टी.टी आग्या। टी.टी. नै उस ताऊ का रंग ढंग देख कै उसका मजाक करण की सोच्ची। बोल्या अक् ल्या ताऊ टिकट दिखया-ताऊ नै टिकट दिखादी। टी.टी. बोल्या-ताऊ तूं तो मर्द माणस अर या टिकट तो जिनानी सै। ‘इब के करूं भाई’ ताऊ दुखी सा हो कै बोल्या। टी.टी. बोल्या-देख ईब तो बड़ा आदमी करकै छोडूं सूं पर आपणा आग्गै का प्रबंध करले। या कह्कै टी.टी. तो चल्या गया। उसके जांदे ताऊ नै तो घर खोली गठड़ी अर जनाने कपड़े पहर कै घूंघट करकै बैठग्या। थोड़ी देर पाच्छै ओ.ए.टी.टी. फेर आग्या। देख्या ताऊ तो ताई बण्या बैठ्या। फेर टिकट मांग ली। देखकै टिकट न्यूं बोल्या-ताई तूं जनानी सै पर तेरी टिकट तो मर्दानी सै। या सुणकै ताऊ पै रह्या नहीं गया-चूंदड़ी माटी फैंक कै अर दे मुच्छां पै तो न्यूं बोल्या-रै थे तो हाम भी मर्दे पर या बख्त की इसी-तिसी होर्यी सै।