एक बै रमलू बहु नै लेण चल्या गया। जब सासु अपणी छोरी ने घालण तै नाट ग्यी तो ओ पांच-सात दिन ओड़ै डटग्या सुसराड़ में। एक दिन उसकी साली बोल्यी-जीजा कई दिन हो लिए तां जांदा नी। रमलू फट बोल्या-तेरी बाह्ण म्हारे कई-कई म्हीने रहें जा, मैं तो कदे नी कहंदा ‘तूं जांदी कोनी’। या सुणकै साली बोल्यी-फेर वा तो थारै ब्याह राख्यी से। रमलू भी बाट्टे देखै था इस बात की-न्यूं बोल्या-अर मैं तो ब्याहे राख्या सूं थारै, मैं कोण सा गां ले आर्या सूं।