तूं किमे न किमे जरूर बदलेगा

एक बै एक आदमी ने बस खरीद ली अर चलाण खात्तिर एक ड्राईवर राख लिया। ओ मालिक था घणाए बेईमान, सारी हाठा न्यूं सोचदा अक् कड़े यू ड्राईवर किमे न किमे राछ ना बदल ले। ड्राईवर ने बस चलाण तांही गेर लाया तो ओ पास में एक खडय़ा था-न्यूं बोल्या-के करै सै? ड्राईवर बोल्या-गेर बदलूं सूं। मालिक फट बोल्या-देख्या, मैैं पहल्यां ए सोच्चूं था तूं किमे न किमे जरूर बदलेगा।

More From Author

रात भर लोग अंधेरे की बलि चढ़ते हैं – ओम सिंह अशफाक

जीजा कई दिन हो लिए तां जांदा नी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *