गांव की छोरियां -विपिन चौधरी

हरियाणवी कविता


गोबर चुगणे नै
गांव की छोरियां
खेल समझैं तो बड़ी बात कोनी
ऊपर ताईं गोबर भरा तांसळा
खेल-खेल म्हं भर लिया
काम का काम भी होग्या
अर खेल का खेल भी
यो सैं म्हारे गामां के खेल
अर गामां की छोरियां के कमाऊ काम

स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (नवम्बर 2016 से फरवरी 2017, अंक-8-9), पेज- 109

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