(4 जून 1940 को ओल्ड बैले की केंद्रीय अपराध अदालत में शुरू हुआ)
ताज बनाम उधम सिंह
जज : एंटकिंसन अदालती कारवाई का नेतृत्व कर रहा था। ज्यूरी में 10 आदमी और 2 औरतें शामिल थे।सरकारी वकील : मि.जी.बी मैलिऊर, मिस्टर सी हमफरे और मिस्टर जार्डिन थे। उधमसिंह के वकील: मि. सेंट जौहन हुचिकसन, के.सी., मिस्टर आर.ई सीटन और मिस्टर वी.के. कृष्णा मेनन थे।
अदालत के क्लर्क ने कहा : उधम सिंह पर आरोप है कि आप ने 13 मार्च को माईकल फ्रांसिस ओडवायर का कत्ल किया है। इस आरोप के लिए वह सफाई दे रहा है। ‘मैं दोषी नहीं हूं’ और गवाहियां सुनने के बाद यह आपके सामने होगा कि यह दोषी है या नहीं।
सरकारी वकील : मि. जी.बी. मैलिऊर ने मुकद्दमें की कार्रवाई शुरू की।
अदालत में कुछ लोगों को ही पीछे बैठने की इजाज़त दी गई थी और पुलिस प्रत्येक अंदर आने वाले की ध्यान से छानबीन कर रही थी।
सुनवाई के दौरान कम ही लोग मौजूद थे। केवल दो भारतीय, एक सिक्ख और एक हिन्दू नजर आए। वे भी लंच टाइम में चले गए।
खुफिया रिपोर्ट के अनुसार कि मुकद्दमें की कार्रवाई के दौरान भारतीयों की गैर-हाजरी का कारण यह था कि सूरत अली जो उधम सिंह के बचाव के लिए अदालत की कार्रवाई संबंधी प्रबंधों से जुड़ा हुआ था, ने सिखों को चेतावनी भेजी कि वह दूर रहें, नहीं तो पुलिस उनको जांच (पड़तालों) में उलझा देगी।
तेजी से गवाहों को अदालत में पेश किया। कुल 24 गवाहों को अदालत में पेश किया। इनको सरकारी वकील मैकलियूर, जज एटकिंसन और उधम सिंह के वकील की तरफ से सेंट जौहन हुचिंसन ने ओडवायर की हत्या के संबंध में कई सवाल किए। उन सारे गवाहों के बयान उधम सिंह के विरुद्ध थे।
उधम सिंह पूरे विश्वास में थे और गवाहों के बयानों को ध्यान से सुन रहे थे। जज की इजाज़त के बाद उधम सिंह के वकील सेंट जौहन हुचिंसन ने उधम सिंह को कटघरे में बुलाया। उधम सिंह ने बाइबल पर हाथ रख कर शपथ लेने से इन्कार कर दिया, परन्तु रस्मी खानापूर्ति की। मिस्टर सेंट जौहन हुचिंसन ने उधम सिंह से कई सवाल पूछ कर बचाव पक्ष रखा।
जज एटकिंसन ने उधम सिंह से कई सवाल पूछे और शाम को अदालत की कार्रवाई 5 जून सुबह 10.30 बजे तक स्थगित कर दी।
दूसरे दिन 5 जून को अदालत की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई। जौहन हुचिंसन के जज को कहने पर कि उधम सिंह कमजोरी महसूस कर रहा है, को बैठने की इजाज़त मिल गई।
बचाव पक्ष की ओर से उधम सिंह के सिवाए कोई गवाह पेश नहीं किया गया। सरकारी वकील मिस्टर मैकलोअर और जज एटकिंसन ने कई सवाल पूछे।
गवाही होने के बाद मुद्दई की ओर से मिस्टर मैकलियूर ने ज्यूरी को संबोधन किया और मिस्टर जौहन हुचिंसन ने ज्यूरी को उधम की ओर से संबोधन किया।
इसके बाद जज मिस्टर एटकिंसन ने मुकद्दमें का सारांश पेश किया और कहा कि जब एक स्वस्थ व्यक्ति जानबूझकर दूसरे को जान से मारता है तो वह हत्या का दोषी होता है। यह कोई घटना या आधी घटना नहीं थी। यह जानबूझ कर की गई कार्यवाही थी, क्योंकि वह पूरे हथियार के साथ गया और एक शिकवे के साथ जिसको वह सरेआम मानता भी था। उसको भारत में अंग्रेजी राज से नफरत है, वह मीटिंग में गया, पिस्तौल से गोलियां चलाकर रोष प्रकट करने के लिए। जज ने अमृतसर में हुए कत्लेआम का उल्लेख किया कि वह जैटलैंड को भी मारना चाहता था। उसके पेट में भी उसने दो गोलियां मारी थी, क्योंकि वह भारतीय स्टेट का सचिव था। उसने ज्यूरी को कहा कि अगर आप सचमुच इससे सहमत हों तो आप उसको हत्या का कसूरवार ठहरा सकते हो।
अदालत का क्लर्क : क्या आप अपने फैसले से सहमत हो?
ज्यूरी का फोरमैन : हम सहमत हैं।
अदालत का क्लर्क : क्या आप ने उधम सिंह को हत्या के लिए दोषी पाया या नहीं?
फोरमैन : हमने इसको दोषी पाया है।
अदालत का क्लर्क : आपने इसको हत्या का दोषी पाया है क्या यह आप सबका फैसला है।
फोरमैन : हम सबका यही फैसला है।
अदालत को एक घंटा 40 मिनट लगे उधम सिंह को दोषी ठहराने में।
अदालत का क्लर्क : उधम सिंह को संबोधित करते हुए कहा कि उसको हत्या का दोषी पाया गया है और उसके पास कहने के लिए है ही क्या? अदालत क्यों न उसे कानून के मुताबिक मौत की सजा दे।
उधम सिंह : हां सर, में कुछ कहना चाहता हूं। उसने अपने वकीलों को पूछे बिना चश्मा लगाया और बेझिझक बोलना शुरू कर दिया।
जज ने उधम सिंह को पूछा कि उसको कानून मुताबिक सजा क्यों न दी जाए।
नीचे जज और उधम सिंह के बीच हुई बातचीत का सार है।
संकेतक लिपि
जज की ओर मुंह करके वह ऊंची आवाज में बोला, ‘ब्रिटिश साम्राज्य मुर्दाबाद। आप कहते हो कि हिन्दुस्तान में शांति नहीं है। हमारे पास तो सिर्फ गुलामी है। तुम्हारी कथित सभ्यता ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमें सिर्फ वह दिया है जो कि मानव नस्ल के लिए कूड़ा-करकट और निकृष्ट है। आपको अपने इतिहास पर भी नजर डालनी चाहिए। अगर आप में मानवीय नैतिकता का जरा भी अंश बचा है तो आपको शर्म से मर जाना चाहिए। अपने आपको संसार के सभ्य शासक कहने वाले कथित बुद्धिमान वहशी और खून चूसने के लिए घूमते हैं, असल में हरामी खून हैं।’
जज एटकिंसन : मैंने तेरा कोई राजनीतिक भाषण नहीं सुनना। अगर इस केस से संबंधित कोई बात कहने को है तो कहो।
उधम सिंह : (जिन कागजों मेें से पढ़ रहा था, उनको लहराते हुए कहा) मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं सिर्फ रोष प्रकट करना चाहता था।
जज एटकिंसन : क्या यह अंग्रेजी में लिखा है?
उधम सिंह : जो मैं पढ़ रहा हूं, वह तू समझ सकता है।
जज एटकिंसन : अगर तू मुझे यह पढऩे के लिए दे दे तो मैं ओर अच्छी तरह इसको समझ सकूंगा।
इस अवसर पर सरकारी वकील जी.बी. मैकलियूर ने जज को ध्यान दिलवाया कि वह एमरजेंसी पावर एक्ट की धारा 4 के तहत यह निर्देश दे सकते हैं कि उधम सिंह के बयान को रिपोर्ट न किया जाए।
जज एटकिंसन : तू यह जान ले कि जो कुछ भी तू कह रहा है, वो छपेगा नहीं। तू केवल मुद्दे की बात कर। अब बोलो।
उधम सिंह : मैं तो सिर्फ रोष व्यक्त कर रहा हूं। मेरा यही मतलब है। मैं उस पते के बारे में कुछ नहीं जानता। ज्यूरी को उस पते के बारे में गुमराह किया गया है। मुझे उस पते की कोई जानकारी नहीं है। मैं अब यह पढऩे जा रहा हूं।
जज एटकिंसन : ठीक है। फिर पढ़।
जब उधम सिंह कागजों पर नजर डाल रहा था तो जज ने उसे ध्यान दिलाया कि वह केवल ये बताए कि उसको कानून के अनुसार सजा क्यों न दी जाए।
उधम सिंह : (ऊंचा बोलते हुए) मैं मौत की सजा से नहीं डरता। यह मेरे लिए कुछ भी नहीं है। मुझे मर जाने की भी कोई परवाह नहीं। इस बारे में मुझे कोई चिंता नहीं। मैं किसी मकसद के लिए मर रहा हूं। कटघरे पर हाथ मारते, वह ललकारा कि हम ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों सताए हुए हैं। उधम सिंह ने संजीदगी के साथ बोलना जारी रखा कि मैं मरने से नहीं डरता। मुझे मरने पर गर्व है। अपनी जन्मभूमि को आजाद करवाने के लिए मुझे अपनी जान देने पर भी गर्व होगा। मुझे उम्मीद है कि जब मैं चला गया तो मेरे हजारों देशवासी तुम्हें सडिय़ल कुत्तों को बाहर फेंकेंगे और मेरे देश को आजाद करवाने के लिए आगे आयेंगे। मैं एक अंग्रेज ज्यूरी के सामने खड़ा हूं। यह अंग्रेज कचहरी है। जब आप भारत जाकर वापस आते हो तो आपको इनाम दिए जाते हैं या ‘हाऊस आफ कॉमंस’ में स्थान दिया जाता है। पर जब हम इंग्लैंड आते हैं तो हमें मौत की सजा दी जाती है। मेरा और कोई इरादा नहीं था। फिर भी यह सजा झेलंूगा और मुझे इसकी कोई परवाह नहीं। पर एक वक्त आएगा, जब आप सडिय़ल कुत्तों को हिन्दुस्तान से बाहर निकाल दिया जाएगा और तुम्हारा ब्रिटिश साम्राज्य तहस-नहस कर दिया जाएगा।
भारत की जितनी भी सड़कों पर तुम्हारे कथित लोकतंत्र और ईसाइयत के झंडे लहराते हैं। उन सड़कों पर तुम्हारी मशीनगनें हजारों ही गरीब औरतों और बच्चों के निर्दयता से कत्ल कर रही हैं। ये हैं तुम्हारे कुकर्म। हां, हां, तुम्हारे ही कुकर्म। मैं अंग्रेज सरकार की बात कर रहा हूं। मैं अंग्रेज लोगों के विरुद्ध बिल्कुल नहीं हूं। इंग्लैंड में मेरे भारतीय दोस्तों से भी ज्यादा अंग्रेज दोस्त हैं। मुझे इंग्लैंड के मेहनतकशों के साथ पूरी हमदर्दी है। मैं तो सिर्फ अंग्रेजी साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ हूं।
उधम सिंह फिर गोरे कामगारों की ओर मुखातिब होकर बोला कि आप भी इन साम्राज्यवादी कुत्तों व वहशी जानवरों के कारण तकलीफ झेल रहे हो। भारत में सिर्फ गुलामी, मारकाट और तबाही है। अंगभंग कर दिए जाते हैं। इस बारे में इंग्लैंड में लोग अखबारों में नहीं पढ़ते, परन्तु यह हमें ही पता है कि भारत में क्या हो रहा है।
जज एटकिंसन : मैं ये और नहीं सुनूंगा।
उधम सिंह : तू इसलिए नहीं सुनना चाहता क्योंकि तू मेरे भाषण से ऊब गया है पर मेरे पास अभी कहने के लिए और बहुत कुछ है।
जज एटकिंसन : मैं तेरा भाषण ओर नहीं सुनूंगा।
उधम सिंह : आपने मुझसे पूछा था कि मैं क्या कहना चाहता हूं। मैं वही कह रहा हूं, पर तुम गंदे लोग हमसे कुछ नहीं सुनना चाहते जो तुम हिन्दोस्तान में कर रहे हो।
इसके बाद चश्मा अपनी जेब में वापस रखते हुए हिन्दोस्तानी भाषा में तीन बार बोला – इंकलाब, इंकलाब, इंकलाब। और फिर ऊंची आवाज में बोला ब्रिटिश साम्राज्य मुर्दाबाद, अंग्रेज कुत्ते मुर्दाबाद, भारत अमर रहे।
जज ने उधम सिंह को फांसी की सजा सुनाई और फांसी की तारीख 25 जून, 1940 सुबह 9 बजे तय की गई तो उधम सिंह ने कटघरे की रेलिंग पर मुक्का मारा। उसने कानूनी सलाहकारों की मेज पर से ज्यूरी की तरफ थूका। वार्डनों ने बलपूर्वक उसे वहां से हटा दिया। जज ने प्रेस को निर्देश जारी किया कि कटघरे में उधम सिंह द्वारा दिए गए भाषण के संबंध में कुछ भी नहीं छपना चाहिए।
उधम सिंह को जब कटघरे से बलपूर्वक हटाया गया तो उसने जिन कागजों से अपना बयान पढ़ा था, उनको फाड़ कर छोटे-छोटे टुकड़े कर नीचे फेंक दिया, परन्तु वार्डन ने उनको इकट्ठा कर लिया और उनकी जज ने फोटो खींच ली।