रागनियां रागनियां प्रिय, पाठको,
हम आपके लिये लेकर आ रहे हैं, डा. सुभाष चंद्र द्वारा संपादित पुस्तक – हरियाणवी लोकधारा प्रतिनिधि रागनियां – चुन कर कुछ मशहूर रागनियां। इन रागनियों में हरियाणा जन मानस की पीड़ा की अभिव्यक्ति हुई है।
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..हरियाणा में रागनी का विकास सांगों के माध्यम से हुआ। लोक में अपने दुख दर्दों, सुख-सपनों को अभिव्यक्ति का माध्यम कथा रही है। कथा में चाहे नायक-नायिका देवता हों, पौराणिक-ऐतिहासिक पात्र हों, राजा हों, लेकिन इनमें आकांक्षाएं और संघर्ष लोक का है। किस्सा कहीं से भी शुरू हो, लेकिन उसमें वास्तविक जीवन के संकट और उनको दूर करने का संघर्ष स्पष्ट दिखाई देता है…
लोक साहित्य में समाज का सामूहिक अवचेतन मन अभिव्यक्त होता है। रागनियों में हरियाणा के लोक मानस की अभिव्यक्ति हुई है। रागनियां, किस्सों, सांगों आदि में पितृसत्ता और वर्णव्यवस्था जिस तरह आदर्श व्यवस्था के तौर पर महिमामंडित हुई है, उससे यही सिद्ध होता है कि हरियाणा की सामूहिक बुद्धिमत्ता एवं मनोचेतना कमोबेश ब्राह्मणवादी सोच से नियंत्रित-परिचालित है।….डा. सुभाष चंद्र