Kabir Bhajan – Mera Tera Manwa | Haryana Srijan Utsav 2018 | kurukshetra | Des Haryana

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देस हरियाणा पत्रिका द्वारा आयोजित हरियाणा सृजन उत्सव के उदघाटन अवसर पर 23 फरवरी 2018 को देस हरियाणा सृजनशाला के कलाकार चमन की प्रस्तुति. कबीर
साखी –
सात दीप नौ खण्ड में, सतगुरु फेंकी डोर।
हंसा डोरी न चढ़े, तो क्या सतगुुरु का जोर।। टेक
तेरा मेरा मनुवा कैसे एक होई रे।
चरण – मैं कहता हो आंखिल देखी,
तू कहता, कागद की लेखी,
मैं कहता सुरझावन1 हारी, तू राख्यौ उरझाई2 रे।।
मैं कहता हो जागत रहियो, तू रहता है सोई रे।
मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।।
जुगन-जुगन समुझावत हारा, केणो न मानत कोई रे।
राह भी अंधी, चाल भी अंधी, सब-धन डारा खोय रे।।
सतगुरु धारा निर्मल बैवे, वामे3 काया धोई रे।
कहत कबीर सुणो भई साधो, तब वैसा ही होई रे।।

  1. सुलझाने की 2. उलझाकर 3. उसमें

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