कर्ज माफी से कर्ज मुक्ति  न्यूनतम समर्थन मूल्य से निश्चित आय – डा. सुभाष चंद्र

हाय-हाय रै जमींदारा,
मेरा गात चीर दिया सारा। ( दयाचंद मायना)

पिछले बीस-पच्चीस सालों से खेती-किसानी का संकट निरंतर गहराता जा रहा है। हताश किसान-आत्महत्याओं का सिलसलिा थम नहीं रहा। सरकारें, नीति-निर्माता इस संकट से निकलने का कोई विश्वसनीय रास्ता सुझा नहीं पा रहे। विकल्पहीनता का संकट यहां साफ तौर पर दिख रहा है। जिस हरित-क्रांति माडल की मंहगी खेती व सरकारों की नीतियों ने किसानों व देश को जिस पर्यावरण, आर्थिक व सामाजिक संकट की ओर धकेला है उसी दिशा में एक कदम आगे बढ़कर जी.एम. फसलों को इस संकट से उबरने की रामबाण औषधि के तौर पर पेश किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि  इससे कुछ कार्पोरेट घरानों और बाजार का भला तो हो सकता है, लेकिन किसानों को इससे कुछ हाथ आने वाला नहीं, बल्कि यह हमारे खेती के परम्परागत स्वरूप, बीज व  सांस्कृतिक, आर्थिक व स्वास्थ्य को तबाह कर देगी।

किसान आंदोलन एक नई करवट लेता जरूर दिखाई दे रहा है। किसान-आंदोलन का चरित्र बदल रहा है। नव किसान-आंदोलन कुछ सहायता-राहत पाने की याचक मुद्रा में नहीं, बल्कि अधिकार भावना से प्रेरित है। कर्ज माफी की मांग का विस्तार कर्ज मुक्ति में और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग का विस्तार निश्चित आय में हो गया है। खाते-पीते किसानों की समस्याओं के साथ सीमांत किसान, खेत मजदूर व आदिवासी किसान की समस्याओं को भी तरजीह दी जाने लगी है।
देश की अधिकांश आबादी जुड़ी होने के कारण कृषि महज किसानों का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकट है, जिसकी अभिव्यक्ति कभी परम्परागत रूप से मजबूत जाट, मराठा, पटेल आदि किसान जातियों के सरकारी नौकरियों के लिए पिछड़े वर्गो में आरक्षण पाने के लिए उग्र व हिंसक आंदोलनों में होती है तो कभी छद्म धार्मिक-भावना उन्माद में।

इस संकट के अनेक आयाम हैं। गुणवत्तापूर्ण रचनात्मक कर्म के लिए  हर संवेदनशील नागरिक, साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी को समग्रता में समझना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि-संकट और आंदोलन पर केंद्रित देस हरियाणा के अंक की योजना बनी। जिसमें साहित्यिक के साथ-साथ खेती से जुड़े शांधार्थियों, वैज्ञानिकों, आंदोलनकारियों, सामाजिक कार्यकत्र्ताओं की विविध विधाओं में शोध व अनुभवपरक रचनाओं को शामिल किया है।

देस हरियाणा का किसान विशेषांक आपके हाथों में सौंपते हुए अपार खुशी हो रही है। जिस कुशलता से कृष्ण कुमार ने इस अंक के संपादन किया है उसके लिए  वे बधाई के पात्र हैं। उनका धन्यवाद। आशा है ये अंक आपको पसंद आयेगा।

स्रोत – देस हरियाणा 13, सितंबर-अक्तुबर 2017, पेज 3
 

सुभाष चंद्र

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