रंगमंच
आर्थिक रूप से समृद्ध माने जाने वाले हरियाणा प्रदेश में नाटक-रंगमंच व कला का क्षेत्र लगातार उपेक्षित रहा है। जिस वजह से यहां पर कलात्मक पिछड़ापन देखा जा सकता है। हरियाणा में कोई समृद्ध परम्परा नही रही। मगर वर्तमान में हरियाणा में रंगमंच के नए अंकुर फुट रहे हैं जो हरियाणा में बड़े सांस्कृतिक बदलाव का संकेतक है। समकालीन हिंदी रंगमंच में हरियाणा अब जाना जाने लगा है। यहां रंगमंच का भविष्य काफी समृद्ध दिखाई पड़ता है।
पिछले कई वर्षों से हरियाणा में लोक सम्पर्क विभाग द्वारा निरंतर टैगोर थिएटर चंडीगढ़ में नार्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला के सहयोग से नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जोकि रंगमंच की दृष्टि से बहुत बड़ी पहल है। कुरुक्षेत्र में बने मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर को हरियाणा में एक उभरते हुए कलाकेंद्र के रूप में देखा जा सकता है। यहां लगातार हो रहे नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से एक कलात्मक माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है ।
हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के मार्गदर्शन में हरियाणा के करनाल, कुरुक्षेत्र ,पानीपत ,रोहतक ,हिसार , जींद , कैथल ,सिरसा ,भिवानी में नाटक टीमों का गठन हुआ। इन नाटक टीमों ने गांव में जाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया और रंगमंच के लिए उपजाऊ जमीन तैयार की। हरियाणा के विश्वविद्यलयों द्वारा आयोजित युवा महोत्सवों में नाट्य प्रस्तुतियों से नाटक के एक नयी बिरादरी सामने आयी है ।
हरियाणा में करनाल के आस पास व्यक्तियों और संस्थाओं ने रंगमंच को स्थापित करने में रुचि ली है। हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति , सार्थक कला मंच, शहीद सोमनाथ स्मारक समिति,एंडोवर्ट ग्रुप काम कर रहे है। ज्ञान विज्ञान समिति ने करनाल में महिला बाल-विकास ,कन्या-भ्रूणहत्या ,जातीय संकीर्णता और शिक्षा से जुड़े नाटक किये। जिनमें ‘एक नयी शुरुआत’, ‘हिंसा परमो धर्म’ , ‘लड़की पढ़कर क्या करेगी’ ,’मेरी जात’, ‘हम लेंगे ऐसा बदला उनसे’ और ‘नयी पहल’ जैसे नाटक करके लोगों में जागरूकता का काम किया है।
सार्थक कला मंच पिछले कई सालों से करनाल में रंगमंच के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसके निर्देशक संजीव लखनपाल हैं। इन्होंने प्रेमचंद की कहानियों का रंगमंच किया है जिसमें ‘बड़े भाईसाहब’, ‘गुल्ली डंडा’, ‘सवा सेर गेहूं’ हैं। पीयूष मिश्रा लिखित नाटक ‘गगन दमामो बाज्यो’ के दस से ज्यादा प्रदर्शन कर चुके हैं।
करनाल में अर्पणा ट्रस्ट भी अपने आध्यात्मिक लाइट एंड साउंड शो करते रहे हैं। अब वो लगभग बंद हो चुका हैं । एंडोवर्ट ग्रुप के निर्देशक सुमेर शर्मा हैं जो कि ज्यादातर सांग और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने काम कर रहे हैं।
शहीद सोमनाथ स्मारक समिति ने इंद्री में नाटक की प्रस्तुतियां दी हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर चुके इंद्री निवासी नरेश नारायण ने यहां पहला स्टेज नाटक ‘मरदूद -ए-हरम’ का निर्देशन किया। समिति ने प्रसिद्ध नाट्य अभिनेत्री ज्योति डोगरा के द्वारा निर्देशित नाटक ‘तोये’ के मंचन के लिये इंद्री में आमन्त्रित किया।
हरियाणा में बढ़ते बाजारवाद के बीच एक सांस्कृतिक बहार बनाने की कोशिश की गयी हैं। इन प्रयासों में श्री अनूप लाठर का योगदान भी सरानीय रहा हैं जिन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ़ इंडियन थिएटर, चंडीगढ़ से नाट्य विद्या में प्रशिक्षण लेकर कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के यूथ एंड कल्चरल अफेयर निर्देशक के तौर पर कार्य किया हैं। युथ फेस्टिवल में अलग-अलग सांस्कृतिक विधाओं को शामिल किया और इन प्रतियोगताओं को नयी दिशा देने की कोशिश की।
मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर, कुरुक्षेत्र पूर्व सयोंजक श्री दीपक त्रिखा भी निरन्तर नाट्य प्रस्तुतियों और कार्यशालाओं से जुड़े रहे हैं और मल्टी आर्ट सेंटर को कलात्मक केंद्र बनाने के लिए लगातार नाट्य प्रस्तुतियों का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों की नाट्य मंडलियों ने प्रस्तुतियां दी हैं ।
कुरुक्षेत्र का जन नाट्य मंच पिछले 25 वर्षों रंगमंच के क्षेत्र में काम कर रहा है। जन नाट्य मंच ने नुक्कड़ और स्टेज नाटकों का मंचन किया है। ‘रजिया की डायरी’ तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से नाटक ‘रह जायेगा ढाई आखर’ का मंचन किया है। रह जायेगा ढाई आखर नाटक ऑनर किलिंग पर कड़ा प्रहार करता हुआ हरियाणा जैसे प्रदेश में कला की संभावनाएं और कला के दायित्व को निभाता दिखाई देता है। जन नाट्य मंच ने प्रदेश में कला और कलाकारों की संभावनाओ को जनम दिया। बाल रंगमंच से बढ़कर केशव कुमार,अमनदीप,स्नेहा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से नाट्य विद्या में प्रशिक्षण प्राप्त कर रंगमंच और फिल्म के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
हरियाणा के हिंदी नाटककार स्वदेश दीपक जी अम्बाला से थे। इन्होंने ‘कोर्ट मार्शल’ , ‘सबसे उदास कविता’, ‘बाल भगवान’, ‘जलता हुआ रथ’ और ‘काल कोठरी’ नाटक लिखें हैं। इनका नाटक कोर्ट मार्शल में दलितों की मुखर अभिव्यक्ति करता है और साथ ही साथ नौकरशाही की आलोचना करता है। ‘जलता हुआ रथ’ पंजाब के एमरजेंसी के दौर की वीभत्स तस्वीर पेश करता है और हमारे देश की राजनीति को कटघरे में खड़ा करता है। ‘काल कोठरी’ नाटक रंगमंच के कलाकारों की हालात बयान करता है।
अम्बाला में आदि मंच नाट्य ग्रुप ‘कोर्ट मार्शल’ और ‘सबसे उदास कविता’ नाटकों का मंचन करता रहा है। ये हरियाणा के क्षेत्र में सांस्कृतिक परिदृश्य के निर्माण में भूमिका निभा रहा है ।
यमुनानगर के रंगकर्मी कमल नयन कपूर, राजिंदर शर्मा नानू, गीता अग्रवाल, गौरव पराशर, रमेश सपरा, संजीव चौधरी रंगमंच को आगे बढ़ा रहे है । राजिंदर शर्मा नानू व गीता अग्रवाल ने लगातार बॉबी ब्रेकर नाटक की प्रस्तुति कर रंगमंच को नयी दिशा दीे है। डी.ए.वी. गर्ल्स कालेज यमुनानगर ने युवा महोत्सव में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है और रंगमंच की गतिविधियों में सक्रिय रहा है । कॉलेज ने हरियाणा फिल्म फेस्टिवल के आयोजन कर एक नयी संस्कृति निर्माण का कार्य किया है। यह कॉलेज यमुनाननगर में रंगमंच के केंद्र के रूप में उभरा है।
कैथल के अमृतलाल मदान ने हिंदी नाटक लिखे हैं। ‘लाल धूप’ इनका मुख्य नाटक है। कैथल में हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति और जनवादी नोजवान सभा ने नुक्कड़ नाटक करते रहे हैं।
हरियाणा कला परिषद के चेयरमैन सुदेश शर्मा ने चंडीगढ़ में थिएटर फॉर थिएटर ग्रुप बनाकर स्वदेश दीपक द्वारा लिखे नाटक कोर्ट मार्शल के 400 से ज्यादा शो किये हैं। लगातार चंडीगढ़ में अपने ग्रुप में नाटक शो और थिएटर फेस्टिवल का आयोजन करते रहते हैं।
फरीदाबाद के रंगकर्मी रामजी बाली और महेश सैनी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक कर चुके हैं और फरीदाबाद, दिल्ली में रंगमंच और फिल्म निर्माण से जुड़े रहे हैं। थिएटर वाला ग्रुप ने निर्देशक के तौर पर कार्य कर रहे है ।
रोहतक में जतन नाट्य केंद्र और हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति लगातार नाटक कर रहे हैं। कवि मनमोहन, कवयित्री शुभा, नरेश प्रेरणा, दीप्ति, राजकुमार, प्रशांत, सतनाम, मीनाक्षी लगातार रंगकर्म से जुड़े है। एक नयी शुरुआत नाटक के हरियाणा में 1000 से ज्यादा शो किये गए हैं। इसके अलावा ‘हिंसा परमो धर्म’, ‘हम लेंगे ऐसा बदला उनसे’, ‘लड़की पढ़कर क्या करेगी’, ‘मेरी जात’ जैसे कई नाटकों का मंचन करते रहे हैं।
हरियाणा युवा महोत्सव और विभिन्न नाट्य आंदोलन या नाट्य संस्थाओं का हिस्सा रहे युवा लड़के और लड़कियां रंगमंच की शिक्षा ग्रहण करके रंगमंच में अध्यापन , नाट्य निर्देशन और नाट्य मंचन करते हुए रंगमंच को व्यावसायिक रूप से अपना रहे हैं। जिनमे करनाल से अमितोष नागपाल, आशीष शर्मा, नरेश नारायण,गुरनाम कैहरबा, कुरुक्षेत्र से केशव कुमार, स्नेहा, अमनजीत , विरेन्द्र सरोहा, राजवीर राजू, रोहतक से दुष्यंत कुमार, सविता रानी(बिन्नू ), दीप्ति, नरेश प्रेरणा, मदन भारती, कृष्ण नाटक, दीप्ति, राजकुमार फरीदाबाद से रामजी बाली, महेश सैनी, सोनीपत से सत्येंद्र मलिक, अशोक धर्मशोत, सुनील कुमार, हिसार से बलजिंदर कौर, यशपाल शर्मा, भारत, बृजेश कुमार, रवि चौहान, मनीष जोशी, जींद से रमेश ड्रामा, हनीफ, पवन तोमर राजिंदर शर्मा नानू,रवि मोहन बाठ, कौशलेश, कुशल कुमार के अलावा अनेक कलाकार (सभी के नाम देने संभव नहीं)रंगमंच में सक्रिय हैं।
हरियाणा में रंगमंच के अंकुर अब एक पौध के रूप में सामने आ रहे हैं जो भविष्य में काफी सुनहरे परिणाम देंगे। हरियाणा के नाट्य ग्रुप जिंदगी के सवालों को नाटक का हिस्सा बनाते हुए सांस्कृतिक परिवेश के निर्माण की कोशिश कर रहे हैं। कह सकते हैं कि हरियाणा में रंगमंच की नयी परम्परा कायम की जा रही है ।
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा ( अंक 8-9, नवम्बर 2016 से फरवरी 2017), पृ.- 89-90