भाई रे दुई  जगदीश कहां ते आया -कबीर

https://youtu.be/JSombXXmPCY

साखी –
हिरदा भीतर आरती2, मुख देखा नहीं जाय।
मुख तो तबहि देखहि, जो दिल की दुविधा जाय।।टेक
भाई रे दुइ जगदीश कहां ते आया, कहुं कौनें भरमाया।
चरण – भाई रे दुइ जगदीश कहां ते आया, कहुं कौनें भरमाया।
अल्लाह राम करीमा केशव, हरि हजरत नाम धराया।।
गहना एक ते कनक ते गहना, इनमें भाव न दूजा।
कहन सुनन को दो करिथापे3, इक निमाज इक पूजा।।
वही महादेव, वही मुहम्मद, ब्रह्मा आदम कहिये।
कोई हिन्दू कोई तुरुक कहावै, एक जिमी पर रहिये।।
वेद कितेब पढ़े वे कुतबा, वे मौलाना के पांडे।
बेगर बेगर नाम धरायो, एक मटिया के भांडे4।।
कहहिं कबीर इ दोनों भूले, रामहिं किनहूं5 2न पाया।
वे खस्सी6 वे गाय कटावै, बादहिं7 जन्म गमाया।।

  1. दो-दो 2. कांच (शीशा) 3. स्थापना करना 4. मटके 75. कहीं भी 6. बकरी 7. बेकार

One Comment

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  • हिना

    October 12, 2022 / at 8:40 amReply

    नमस्ते 🙏
    कृपया इस साखी का भावार्थ समझाये।कुछ कुछ समज में आ रहा है पर स्पष्ट नहीं हो रहा। इस साखी को सोसिअल मीडिया पर बहुत खोजने के बाद ‘देस हरियाणा ‘ से प्राप्त हुआ। धन्यवाद।

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