बेराग कठे है मेरा भाई – कबीर

साखी – सेख सबूरी बाहिरा, क्या हज काबै जाई।
जाकि दिल साबित2 , वाकौ3 कहां खुदाय। टेक
बेराग कठे है मेरा भाई, सब जग बंधिया4 भरम के माही।
चरण – क्षर एक ना एक है, अक्षर ना कोई जप तापाई।
बावन अक्षर खोल कोल में, इनसे बचे ना कोई राई।।
ज्ञान ध्यान जप तप नहीं, साधन वेद कुराण ना बाणी।
छै राग छत्तीस रागणी, या सब काल खवाणी5।।
दस और दोय तीन और तेरह, यह मिल काल रचाई।
ओहं सोहं पोहं जोहं, इनकी तो सफा उड़ाई हो।।
योगी जती और सती सन्यासी, सब बंधिया6 भरम के माही।
अनेक मुनिजन भूखों मर ग्या, नाहक देह सताई।।
तेरा बारी अजब झरोखा, ये मिल गोठे7 आई हो।
कहे हो कबीर सुणो भाई साधो, गुरु बिन गेला6  पाही।।

  1. कहां 2. शुद्ध 3. उसको 4. आसक्त (बंधा हुआ) 5. समाना 6. बंधन 7.  मंथन करना 8. सद्मार्ग

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