कविता
मैंने
तुम्हें कहा था न
मत कर
कबीर-कबीर
और अब
शहर के बाहर
खड़ा रह अकेला।
अपने फुंके घर का
देख तमाशा
हक सच की
आवाज लगाता
पंजाबी से अनुवाद : गीता ‘गीतांजलि’
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (सितम्बर-अक्तूबर, 2016) पेज -22
कविता
मैंने
तुम्हें कहा था न
मत कर
कबीर-कबीर
और अब
शहर के बाहर
खड़ा रह अकेला।
अपने फुंके घर का
देख तमाशा
हक सच की
आवाज लगाता
पंजाबी से अनुवाद : गीता ‘गीतांजलि’
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (सितम्बर-अक्तूबर, 2016) पेज -22