मेरे हालात नां पूच्छै – कर्मचंद केसर

हरियाणवी गजल

मेरे हालात नां पूच्छै।
इस दिल की बात नां पूच्छै।
फुटपाथ पै बसर करूं सूं।
मेरी औकात नां पूच्छैं।
मैं सबका सब मेरे सैं,
तौं मेरी जात नां पूच्छै।
डंड म्हं भुगत दिये जो मन्नैं,
तमाखू के पात नां पूच्छै।
जिन्दगी भर तक याद रहैगी,
इब वा मुलाकात नां पूच्छै।
दुक्ख चिन्ता अर विपता के म्हं,
यू सूक्या गात नां पूच्छै।
आज तलक सी भुगत रह्या सूं,
वैं फेरे सात नां पूच्छै।
गहरे जख्म दिये बख्त नैं,
वा बीती बात नां पूच्छै।
किस मजबूरी म्हं केसर नैं,
क्यूं जोड़े हाथ नां पूच्छै।
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (सितम्बर- अक्तूबर 2016), पेज- 53

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