कविता – मीनाक्षी गांधी

 
आज किसी ने कहा
वो बहादुर है बहुत
सब हंसते हंसते झेल लेती है
वो बहादुर है बहुत
जो सब सह लेती है
और उफ्फ़ तक नहीं करती
ऐसी बहादुरी किस काम की
जो उसे दर्द तो दे
पर कोई मरहम ना दे
जो अन्दर ही अन्दर
उसे खोखला कर दे
और डर के घेरे में?
वो ऐसी फंस जाये की
बाहर आने का
उसे कोई राह दिखाई ना दे
लोग कहते हैं
की वो समझदार है बहुत
सबकी खुशी का ध्यान रखती है
वो समझदार है बहुत
जो सबकी उम्मीदों पर खरी उतरती है
ऐसी समझदारी भी किस काम की
जो उसकी खुद की
खुशी का गला घोट दे
उसकी उम्मीदों
और उसके अस्तित्व को
इस क़दर ख़तम कर दे
की वो अपने सपने भूल
और अपनी उम्मीदों को तोड़
अपनी जि़ंदगी के मक़सद
को ही भूल जाये
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (सितम्बर-अक्तूबर 2016, अंक-7), पेज-35
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *