खतरनाक – सुशीला बहबलपुर

कविता

खतरनाक होता है
सिर्फ अपने लिए जीना
और सब तरह की बेपरवाही
उससे भी खतरनाक है
आधार से कट जाना
सिर्फ अपनी ही बात करना
पर सबसे खतरनाक होता है
आगे बढ़कर, पीछे लौट आना
और न पछताना।
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (जुलाई-अगस्त 2016) पेज-29
 

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