कविता

मैंने चुने हैं कुछ
ऐसे रास्ते
जिनमें रीसते हैं रिश्ते
परम्परा से अलग
नई परम्परा के
कुछ से भिन्न
कुछ से खिन्न
और ज्यादा इन्सानियत के!
स्रोतः सं. सुभाष चंद्र, देस हरियाणा (जुलाई-अगस्त 2016) पेज-29
 
 

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