मधुमक्खी की तरह सत्य और सौंदर्य का शहद बनाता है लेखक: डॉ. सुभाष


इन्द्री, 17 नवंबर 2023, गांव ब्याना स्थित राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुभाष सैनी ने बाल संगम भित्ति पत्रिका के दूसरे अंक का विमोचन किया। विमोचन में भित्ति पत्रिका के संपादक मंडल तनु, गुरमीत, संजना, रीतू, निशा, सृष्टि, सिमरण, तृषा, साक्षी, आरती, मनप्रीत, मानसी व साक्षी ने सहयोग किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. विकास साल्यान ने भी शिरकत की। मंच संचालन स्कूल के हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने किया। अंग्रेजी प्राध्यापक राजेश सैनी व हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने आए अतिथियों का स्वागत किया।

विद्यार्थियों को लेखन-क्या, क्यों और कैसे? विषय पर संबोधित करते हुए डॉ. सुभाष सैनी ने कहा कि लेखक मधुमक्खी की तरह जोकि विभिन्न स्थानों से अनुभवों का पराग लेकर सत्य और सौंदर्य का शहद बनाता है। मधुमक्खी द्वारा शहद बनाने की प्रक्रिया और मकड़ी द्वारा जाल बनाने की प्रक्रिया में अंतर है। उन्होंने कहा कि सुबह से शाम तक हमने क्या किया, ऐसे सब विवरणों को तरतीब से लिख लेना ही लेखन नहीं होता है। ना ही लेखन ठोस व स्थूल वस्तु का निर्माण करना है। लेखन नृत्य, अभिनय, मूर्ति कला, चित्रकला व अन्य कलाओं से भी अलग है। क्योंकि नृत्य व अभिनय में कलाकार का शरीर, मूर्ति में पत्थर व अन्य उपकरणों, चित्रकला में पेंसिल व रंगों का साथ मिलता है। लेकिन लेखन में लेखक को अपने बाहरी परिवेश के अनुभवों को मानसिक प्रक्रिया से सजाना-संवारना होता है और उसे कागज पर लिखना होता है। दुनिया में हर समय ही लेखक को सोचना पड़ता है। हर लेखक के सामने यही सवाल होता है कि वह क्या लिखे? उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जन्म से ही प्रतिभाशाली नहीं होता है। लेखक को अपने लेखन कौशल को हमेशा निखारना होता है। रामायण के लेखक महर्षि वाल्मिकी के सामने भी यही सवाल था कि क्या लिखे? आज के लेखकों के सामने भी यही सवाल है? उन्होंने कहा कि लेखक अपने लेखन में सुख व दुख के भावों का संयोजन करता है। अपने परिवेश की अच्छी और बुरी बातों की पहचान करता है और उसे अपने शब्दों में पिरोता है। उन्होंने विद्यार्थियों को लिखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि भित्ति पत्रिका लिखने के लिए मंच है। यह बहुत महत्वपूर्ण कार्य है, जिसमें विद्यार्थियों को बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। विकास साल्यान ने बाल पत्रिका के संपादक मंडल से संपादक और संपादन के कार्य के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि संपादन की प्रक्रिया में क्या लें और क्या छोड़ दें आदि तय किया जाता है। ली गई सामग्री को सजाने और संवारने का कार्य किया जाता है।


विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति को निखारने का काम कर रही भित्ति पत्रिका-


हिन्दी प्राध्यापक अरुण कुमार कैहरबा ने कहा कि बाल संगम भित्ति पत्रिका विद्यार्थियों को अभिव्यक्ति का मंच प्रदान करने, उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को विकसित करने, निखारने और संवारने का काम कर रही है। अध्यापकों के मार्गदर्शन में भित्ति पत्रिका का संपादन पूरी तरह से विद्यार्थियों का समूह करता है। इसके रचनाकार भी विद्यार्थी हैं। भित्ति पत्रिका का पहला अंक स्वतंत्रता आंदोलन पर केन्द्रित था। विमोचित दूसरा अंक कन्या शिक्षा विशेषांक है, जिसमें पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, पहली चिकित्सक आनंदीबाई जोशी, मदर टेरेसा, लक्ष्मी सहगल, सुचेता कृपलानी, कल्पना चावला, मलाला युसूफजई सहित अनेक महिलाओं के चित्र, जीवन परिचय, कविताएं आदि हैं। पत्रिका में पहले अंक के विमोचन की रिपोर्ट, पहले अंक पर पाठकों की टिप्पणियां आदि बहुत सी सामग्री है। उन्होंने आगामी योजना के बारे में बताया कि तीसरा अंक स्कूल पर केन्द्रित रहेगा।


विद्यार्थियों ने पूछे सवाल-

डॉ. सुभाष सैनी के वक्तव्य के बाद हिमांशी, सुभाना चौहान, तनु, भारती, तनुश्री, पायल, मनप्रीत आदि विद्यार्थियों ने अपने सवाल और टिप्पणियां की। दूसरे अंक के संपादक मंडल के विद्यार्थियों- तनु, गुरमीत, संजना, रीतू, निशा, सृष्टि, सिमरण, तृषा, साक्षी, आरती, मनप्रीत, मानसी व साक्षी तथा रचनाकारों को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। भित्ति पत्रिका के मार्गदर्शक हिन्दी अध्यापक नरेश मीत ने अतिथियों का आभार ज्ञापन करते हुए कहा कि विद्वान लेखकों का मार्गदर्शन विद्यार्थियों को रचनात्मक लेखन की दिशा में काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भित्ति पत्रिका से लिखने-पढऩे का माहौल सृजित हो रहा है, जोकि बहुत कारगर है।
रिपोर्ट: अरुण कुमार कैहरबा

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