कविता
चीरती
बेजान हवाएं
तोड़ती
सलाखें
लांघती
दुर्गम पहाड़
चूमती
शिखर
मुस्कराएंगी
गाएंगी
खिलखिलाएंगी
बेटियां
कब…?
कविता
चीरती
बेजान हवाएं
तोड़ती
सलाखें
लांघती
दुर्गम पहाड़
चूमती
शिखर
मुस्कराएंगी
गाएंगी
खिलखिलाएंगी
बेटियां
कब…?