कविता
एक रात सपने में मेरे,
‘बाबा साहेब’ आये।
दासता से मुक्ति के,
मंत्र तीन बताये।
पहला मंत्र बड़ा सरल,
शिक्षा की तुम करो पहल,
शिक्षित बन हर बाधा को,
आसानी से दोगे कुचल।
अछूत नहीं, अभिषेक बनो,
बुरे नहीं, तुम नेक बनो,
बिखरा-2 है दलित वर्ग,
दूजा मंत्र तुम एक बनो।
अंतिम मंत्र रखना याद,
संघर्ष करो छोड़ो फरियाद,
शिक्षा, संगठन और संघर्ष,
कराये दासता से आजाद।
आजादी की बांह थमाकर,
उन्नति की राह दिखाकर,
बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर,
दलितों के बन गए दिनकर।
-भूप सिंह ‘भारती’