अक़्लमंद हो तो क्या लिखो ? – हिमांशु कुमार दंतेवाड़ा

'रूप, रंग, गंध लिखो 
मन की उड़ान हो गई जो स्वच्छंद लिखो
तितली लिखो, फूल लिखो
रेशम लिखो, प्रेम लिखो

जो भी लिखो
प्रशंसा, पैसा और सम्मान के ज़रूरतमंद लिखो

चमक लिखो, दमक लिखो
ठसक और खनक लिखो
देश, विश्व, सत्ता के बदलते समीकरण लिखो

अच्छा लिखो, नफ़ीस लिखो
ऊँचा लिखो, दमकदार लिखो
जिनकी पढ़ने की हैसियत है
उनकी हैसियत के अनुसार लिखो

मुख्यधारा लिखो, बिकनेवाला लिखो
शोहरत वाला लिखो, चर्चा लायक़ लिखो

छप्पर मत लिखो, साथ में नाला मत लिखो

ख़ून मत लिखो, भूख मत लिखो
सड़ती हुई लाश पर मँडराते चील, कौवे मत लिखो
औरत की कोख में ठूँसे गये पत्थर बिल्कुल मत लिखो

दीवानों, पागलों और सनकियों की बात मत लिखो

देश मत लिखो, समाज मत लिखो
गाँव मत लिखो, ग़रीब मत लिखो

विकास लिखो, खनिज लिखो
हवाई अड्डा और होर्डिंग लिखो
ए.सी. लिखो, कार लिखो, स्कॉच लिखो
सेंट लिखो, लड़की लिखो
पैसा लिखो, मंत्री लिखो
साहब लिखो, फ़ाइल क्लियर लिखो

जली हुई झोंपड़ी, लूटी हुई इज़्ज़त, मरा हुआ बच्चा
पिटा हुआ बूढ़ा बिल्कुल मत लिखो

पुलिस की मार, फटा हुआ ब्लाउज़
पेट-चीरी हुई लड़की की लाश मत लिखो

महुआ मत लिखो, मड़ई मत लिखो
नाच मत लिखो, ढोल मत लिखो
लाल आँख मत लिखो, तनी मुट्ठी मत लिखो
जंगल से आती हुई ललकार मत लिखो
अन्याय मत लिखो, प्रतिकार मत लिखो

सहने की शक्ति का ख़ात्मा और बग़ावत मत लिखो
क्रान्ति मत लिखो, नया समाज मत लिखो
संघर्ष मत लिखो, आत्मसम्मान मत लिखो

लाइन है खींची हुई, अक़्लमंद और पागलों में
अक़्लमंद लिखो, पागल मत लिखो '

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