1.
कौन कहता है तुझे तू दीपकों के गीत गा
ज़ुल्मतों का दौर है तो ज़ुल्मतों के गीत गा
क्या खबर है फूल कोई खिल उठे इंसाफ का
इस चमन में बागबां की हरकतों के गीत गा
क्या खबर है हूक सुनके रो पड़े बादल कोई
चातकों से सुर मिला कर चातकों के गीत गा
क्या खबर है दीन कोई जाग उठे सोया हुआ
सामने मक़तल के जाकर बेबसों के गीत गा
भीड़ ज़ख्मों के सिवा कुछ और तो देती नहीं
जख्मियों के साथ रह कर मरहमों के गीत गा
काम से होती क़द्र है काम करना चाहिए
काम गर करना नहीं तो अफसरों के गीत गा
2.
चमारों की गली में इस तरह भी रोशनी आई
कि लाशें खेत से उठकर यहां जलने चली आई
कटी हैं पूस की रातें यहां नंगे बदन जिसकी
उसी के सामने सजके निगोड़ी मुफ़्लिसी आई
गई थी घास लेने छोकरी घीसू की पहली बार
चुकाई इस तरह कीमत बे चारी अध मरी आई
अरे ओ हर खुआ लड़का हमारा जीतता कैसे
कि टाँगें तोड़ डाली रे जो खेलन की घड़ी आई
तुम्हारे जाम सोने के सुराही भी है चांदी की
लहू खुद का पिया हमने यहां जो तिश्नगी आई
रिवायत और ऊंचे ख़ानदानों की भला क्या है
जवानी से यहां पहले मियां आवारगी आई
3.
ये माना न ज्यादा समझदार हम हैं
कि ढाई ही आखर पढ़े यार हम हैं
न तोड़ेंगे मंदिर न तोड़ेंगे मस्ज़िद
कहो सरफिरों से न बीमार हम हैं
अँधेरे को हमने कहा है अँधेरा
यही गर ख़ता है ख़तावार हम हैं
कभी फ़ुरसतों में हमें भी पढ़ो तुम
पढ़ो मूकनायक के क़िरदार हम हैं
चलो खीर खाओ हमारे घरों में
खिलाओ सिवैयां तलबगार हम हैं
हमीं ने लिखे हैं मुहब्बत के नारे
हमें मार डालो कि गद्दार हम हैं
4.
धूप छाँ बादल घटाएं बिजलियाँ हथिया लई
आसमां वाले ने कितनी हस्तियाँ हथिया लई
आपने तो लिख दिया बस मर गया वो भूक से
कौन लिक्खेगा कि उसकी रोटियाँ हथिया लई
खा रही धक्के सड़क पर आजकल तालीम है
मजहबों ने मुल्क की सब कुर्सियाँ हथिया लई
नोच तो लेती वो कमसिन नाखुनों से मुँह मगर
हाथ ज्यादा थे कि उसकी उँगलियाँ हथिया लई
तुम ही नानक तुम कबीरा और तुम रैदास हो
कब जनम लोगे तुम्हारी बरसियाँ हथिया लई
5.
समझते ही नहीं हैं लोग जो औकात फूलों की
उन्हें हम भेजते हैं आज कल सौगात फूलों की
वो कोशिश खूब करते हैं चमन में रोज दंगे हों
मगर मज़हब न फूलों का न कोई जात फूलों की
किताबें सौ पढ़ी हमने मगर तितली तो तितली है
समझ लेती है इक पल में वो सारी बात फूलों की
ये सहरा है बहुत प्यासा मगर है आस भी बाकी
कि होगी लाज़मी इक दिन यहां बरसात फूलों की
यहां कुछ फूल ऐसे हैं नहीं खिलते उजाले में
सितारों का करिश्मा है चमकती रात फूलों की
जिए हम जब तलक ‘भोला’मिले बस हार शूलों के
जनाज़ा यूँ चला जैसे कि हो बारात फूलों की
बेहतरीन